Book Title: Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Author(s): V M Kulkarni
Publisher: B L Institute of Indology

Previous | Next

Page 713
________________ साहिअंगो आओ ०ति पे० खेभ ( ? ) णा कुणति ( ? ण कुणतो) चिअ माणं वेक्खि गुरु fores असणुक्खित्त fufaea जाआभीरुअ firefuses (अपभ्रंशभाषायाम् ) णिद्दाभंगो आ रत्तणं पिच्छिमार असई निम्मरिअ संधिअम्मां णिम्मविअमंडणाणवि विससि दुक्कसहाआ ( ? ) अइअ०ज नि०लिंपि (? णीआइँ अज्ज fufaea ) णीसासामधूसरो ( ? ) णीसपत्तजणम्मि हसवेविरसिहं ( ? ) मंतिजे पहुत्तं उरकोडि-वलगं चिरं वच्छदिणहि अओ तं अवलवसु ( ? अवलंबसु) धीरं तं कत्थ अं तुह तरुण तं किर खणा विरज्जसि चिसोमाण तं तिसकुसुमदाणि (? दाम ) तं दहिणा तक्खणजणिअपरिपसभ तक्खणणिअपहरि तणस जंसहिअणो ( ? ) अपि अणिव्वड तआइआ वराई 999.229 1053.238 945.220 998.229 920.215 1445.306 924.216 1320,285 1105.246 838.201 1597.330 1057.238 1542.321 554.323 977.225 1015.231 1466.309 1292.280 979.225 1571.326 1546.322 1408.300 865.205 1420.302 1028.234 1132.250 1325.285 1026.233 1583.328 1047.237 1091.243 983.226 Hem KAS p. 56: GS (W) 937 GS I. 26 Sakuntala V. 16 Cf. SK p. 683 GS (W) 957 GS I. 30 Appendix - I GS IV. 74 GS1I. 4 (HV ?) (HV ?) 33 GS IV. 28 GS I. 91 GS II. 88 (HV ?) Setu XI. 129 Cf. SK p. 678; (HV) Setu I. 42 (HV)? 55 GS (W) 919

Loading...

Page Navigation
1 ... 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790