Book Title: Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Author(s): V M Kulkarni
Publisher: B L Institute of Indology
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36
पाअडिअणेहसब्भाव
GS II. 99
पाअडिअं सोहग्गं पाअपडणाण मुद्धे
GS V. 60 GS V. 65
GS IV. 90
408.127 689.177 505.145 321.109 778.192 797.194 720.182 377.120 545.152 347.115
231.91 626.167 619.165
271.99 .247.95 749.187 674.174
236.92 373.119
GS I. 69 Cf. Hemacandra p. 55 GS IV. 23
पाअपडिअं अहव्वे पाठे (? ढे)इ देवरो कुलं पाणि व्ग (? ग्ग)हणे च्चिअ . पिअदंसणरहसुक्खित्त पिअदंसणसुहरसमुउ पिअळंबजसाहुळिपाण्डराए (?) पिअलंभेण पओसो पिअविरहो अप्पिअदंसणं पिअसम्हरण (? संभरण) पिआ आडंबं (? अद्दाअं) देइ पोळेइ पळं तुं न ह (?) पुच्छिज्जंती ण भणइ पुट तेण वि हिएण (? फुट्टतेण वि हिअएण) पुढिं पुससु किसोअदि (? रि)
.
Setu XII. 12. GSI. 24GS III. 22
GS VI. 47 GS III. 4
GS VI. 13
पुत्तग्गि (? पुण्णग्गि) वाउलमाणो (?) । पुत्ति भुवंगिव्व विमुक्क पुरिअं वामच्चि तुए (? फुरिए वामच्छि
425.130 460.137 367.118 393.123 320.109
GS II. 37
Setu XV. 66 (Calcutta edition)
पुळणजण्ण० तिदहकन्धरं (? पुलअं जणेति 522.148 दहकंधरस्स) पुळळंतनिरंतरतरुण (फुल्लंत-णिरंतर- 630.167 तरुण) पुसइ खणं धुअइ खणं
288.102 पेक्खसि अणिमिसणअणो
333.111 पेच्छंता (ण) समुदं चडुळो (लो) वि। 512.146 पेच्छह हला अवोच्चं (?)
726.183
GS V. 33
Setu II. 43
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