Book Title: Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Author(s): V M Kulkarni
Publisher: B L Institute of Indology
________________
GS I. 13 Cf. GS IV. 12
Cf. Vajjā 538 Cf. Vagbhata KAS p. 37 GS II. 52
Cf. GS (W) 850
घरिणीए महाणसकम्म
1443.305 घेत्तूण पुप्फमुट्टि
1517.317 घोलइ तहि तहिं चिअ
1568.325 चंदणवलिअं दड्ढकंचि
1544.322 चंद तुम ण गणिज्जसि
890.210 चंदमुहि चंदधवला
957.222 चंदाअवम्मि जाअइ
1482.311 चंवामअपडिजीवि
1211.264 चंदो वि चंदवअणे
956.221-222 चंदो वि स सअसहोअर
1326.285 चलणाहअस्स पइणो
1607.331 चलणोवा (?आ) सणिसण्णस्स 1615.332 चितेहि अंगसंगो
841.201 चिरजीवंतण (?चिरजीवत्तण) 1315-284 चिरपवसिअदइअकआ
1333.287 चुए चडेविणु
1618.333 चुंबइ वास०णि मुही
850.202 चुंबण (चंदण) वलिअं (?) दिढकंची। 913.214 चुंबसु सह०तउत्तं (?सहस्सहुत्तं) 1189.260 चोरिअरअसद्धालुअइ
823.198 छणपडिवआए पह दे
1279.277 छणपिट्ठरधू (स) रत्थणि
1526.319
GS II. 8
Cf. GS (W) 847 Cf. GS (W) 840
Cf. SK p. 233 Cf. Vajja 538
.
GS V. 15
GS (W) 826 . • Cf. SK p. 664
जइआ इरि तवेस जइआ पिओ न दीसह
950.220 1206.263
1461.308 1198.262 1118.248
- GS (W) 901
Cf. SK p. 687 Cf. SKp.620 GS (W) 844 GS (W) 895
जणाइ (? जइ) ण च्छिवसि पुष्फवई जइ देव तुमं पसण्णो जइ पुत्तअ बहुएहि जइ मग्गिअ ०ण सरिअं (?) जं जं तणगअं पि (?) जं जं०ध अघिसारं जं जं पिउ (हु)लं अंग
855.203 852.203 809.196
1121.248
GS IV.9
Page Navigation
1 ... 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790