Book Title: Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Author(s): V M Kulkarni
Publisher: B L Institute of Indology
________________
ओ० चिणसु ( = उच्चिणसु) पडिअ -
कुसुमं
कइआ जाओ कइआ णु
आ तमिइ (?) कज्जलमललि अंगठि
कज्जं विणा वि कअमाणडंबरा
ओच्चे जा कु
औरत
( ? पंकअ ) मुहि ?
ओविज्जउ छणदिअहे ( अप्पिज्जउ ) ओसए वसंतकास ?
844.201
ओसर धुइ साह
834.200
ओसण ( ? ओ / अह सुअइ दिण्ण०) 1464.309
ओहिचदेण विहरा ?
1319.284
1157.255
अविच्छेओ सहि मंगि अविप्पिओ ण माणिणि
1092.243
कइवपरंमुहान
1087.243
1504.315
1625,334
1303.282
1124.249
1246.271
1051.237
1531.320
1137.251
1126.249
1268,275
937.218
965:223
1214.265
कलहोळु (? कलहोउ ) ज्जलगोरं ?
819.197
कल्लं किर खरहिअओ
1264.275
कल्लाणिज्जइ... ? ( अपभ्रंश भाषायाम् ) 1262.274
1207.264
कस्स ण सद्धा गरुअत्तणम्मि ? कस्स वि ण होइ रोसो
901.212
कह णु गआ कह दिट्ठा ?
कह मा झिज्जउ मज्झो
कंठग्गहण सअं कंठावलंबिअपिओ
902,212
कंडुज्जुआ वराई
कंडु०जाआ (? कंडुज्जुआ ) वराई
कपणे पडिअ हिअए ? कंतुग्गधणु ० खिते कत्तो संदेससुहं ?
?
कलकंठी कलरओ ?
829.199
1452.307
289.279
948.220
1455.307
Cf. GS (W) 959
GS VI. 31
Cf. SK p. 594
Cf. GS (W) 913
GS (W) 929
99
Cf. GS (W) 849
GS IV. 52
GS IV. 52
Cf. GS (W) 831
GS III. 56
GS I. 46
Vide Appendix - I
Cf. GS (W) 745
Cf. GS (W) 886;
DHV. p. 76
Cf. SK, p. 637;
GS (W) 857
Cf. SK p. 498
49
Page Navigation
1 ... 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790