Book Title: Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Author(s): V M Kulkarni
Publisher: B L Institute of Indology

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Page 688
________________ Setu X. 81 चंदुज्जोएण मओ चंदो वि राइमाहिडिउणं चंपहइ बीअकंठं मज्झ (?जं वहइ बोअकंड) छणपिट्ठझसरत्थणि 621.165 222.89 711.181 Cf. SK p. 314. p. 664 401.125 659.172 309.106 छेअवरो णं आणइ छेआइमुद्धदिअरस्स जई जूरइ जूरऊ णाम जणणी असंकमाणी जद्ध (?त्थ) ण उज्जग्गिरओ GS VII. 8 Cf. SK p. 646 GS V.41 370.119 476.140 421.129 768.190 798.194 405.126 676.175 • 504.144 458.136 716.182 654.171 465.138 419.141 509.145 GS III. 34 Setu I. 7 जमं (?म्म) तरे वि चलणे जस्स हि चिअ पड (?ढ) में जस्स वळ (ल) गंति णहि (?हैं) जह खेल्लसि पप्फुल्ला जह जह जरा-परिणओ जह जह वि कामिणोणं जह णअणा सविआरा जह सविलासं हासं जह से पहरंतपळ (?) वा (एंतो वि ण सच्चविओ) जं अणुण कुमारीण जं असरणं पउट्ठो जं च अलिओवआरं जंचिअवि पिआणणा (? वंचिअपिआणणा) जंज करेसि जं जं GS III. 93 Cr. SK III. v. no. 126, p. 572 Cf. GS (W) 709 GS IV. 78 329.111 433.132 224.89 556.154 466.138 499.144 325.110 380.121 551.153 636.169 614.164 662 173 GS IV. 9 जं जं पिभुलं (? पिहुलं) अंगं जं जं सो णिज्झाअइ GS I. 73 जं तं रूवं णं (?) तं जं मुच्छिआए ण सुओ जाइ वअणाइ अम्हे cf. SK p. 676 GS VII. 49

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