Book Title: Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Author(s): V M Kulkarni
Publisher: B L Institute of Indology

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Page 686
________________ किअरहसदो वोसरि कि गिदे (? किं दे) पडिहासइ किं किं दे पडिहासइ GS I. 15 कि ण भणिओ सि बालअ GS IV. 70 कि णीलकंठ गच्छसि किं तस्स पावरेणं किं दाव कआ अहवा कि भणह मं सहीओ कुविआ अ सच्चभामा GS I.90 GS VII. 17 HV DHV. p. 143 कुविआओ पसण्णाओ केणा चि (? वि) अज्ज गोसे केलिपसरो विअंभइ केली. वि रूसेउ केळी (लो)-गन्भसरिच्छे केलीगोत्तख्ख (?क्ख) लिए केलीगोत्त-क्खलणे GS II. 95 641.169 234.92 560.155 785-193 398.125 705.179 723.183 748.187 299.104 414.128 542.152 682.176 799.194 644.170 631.168 300.105 277.100 600.161 256.96 588.159 782.193 516.147 498.144 530.150 661.173 342.114 585.159 757.189 587.159 383.121 564.155 391.123 363.118 483.142 Cr. SK p. 622 - केतिअ (? केत्तिअ) मेत्त व्व धरा को विसमो संसारे खणमेत्तं पि ण पि (? फि) दृइ GS II. 83 लिण्णस्सोरइपउ ( ? खिण्णस्स उरे पइणो) GS III. 99 GS V. 99 GS VI. 66 खेमं कतो (? कत्तो) खेमं गज्ज मह च्चिअ उरि गज्जंताइ (? गिज्जताइ) सुणतो गण्हइ कंठम्मि बला गण्हतीए णवल गम्मिहिइ तस्स पासं गम्मिहिसि तस्स पास GS VII. 7

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