Book Title: Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Author(s): V M Kulkarni
Publisher: B L Institute of Indology
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26
264.98
GS IV. 27
403.126 440.133 793.194
Gs v. 61
ईसज्जणंति दापिति (ईसंजणेति दाति) उअ माहमासगोसग्गमज्जिरी उअ संभमविक्खित्तं उअ हुज्जंति (? उअहुज्जंति) पिउच्छा उरवे (?)ल्लिअवइ-कारि उक्खिप्पड मारुअमंडळे (ले)ण उग्गाहिएक्कम उज्जागरअ कसाइअ उज्झसि पिआएँ समकं उण्हाइँ णीसमं (?सं) तो
Cr. SK p. 451 GS II. 20
734.185 683.176 700.178 464.138 304.105 280.101 729.184 283.101
GS V. 82 GS III. 75 GS I. 33
उप्पु (?प्फु) ल्लिआइ खेल्लउ उमिअळं घणिजंदं (? उहि अलंघणिज्ज) उम्मूलं (?लें) ति व हिअअं उन्वहइ दइअगहिआ
GS II, 96 Setu II. 44 GS II. 46 GV 690
513.146 281.101
265.98 538.151 291.103 752.188
GS III. 75.
उवासि खु गाम ऊहसि (? उज्झसि) पिआएँ समर्थ एएणं चेअ गुणेण एएण च्चिअ पिअसहि
727.184 371.119 593.160 694.177 591.160 404.126
GS I. 86
III. 20
ए(व?) क्कंगणदुळहे एक्कं पहरुविणं एक०कम (? एक्केक्कम) वइवेढा (? वेढण) एक्कक्कमसंदेसा एक्कं चिअ रूअगुणं एण्ह (? एण्हि) वारेइ जणो एत्ताहे चि (?च्चि) अ मोहं जणेइ एइहमेत्तम्मि जए एमेअ अकअपुण्णा एमेअ मंदपुण्णा एहिइ पिओ त्ति णिमिसं
549.153 346.114 456.136
356.116 667.174 685.176 415.128
GS IV. 42 GS VI. 92 GS VI. 96 GS V. 10 GŚ IV. 3 Cf. SK p. 615 Cf. SK p. 615 GS IV. 84,Cf. SK p. 690
680.175
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