________________ समाधिमरण सम्बन्धी प्रकीर्णकों की विषयवस्तु : 11 20. सिद्धप्राभृत, 21. सारावली और 22. जीवविभक्ति / उन्होंने यह भी उल्लेख किया है कि वर्तमान में यदि प्रकीर्णक नाम से अभिहित ग्रन्थों का संग्रह किया जाय तो बाईस नाम प्राप्त होते हैं१° परन्तु उनके द्वारा सम्पादित 'पइण्णयसुत्ताई' (दो भागों) में संग्रहीत ग्रन्थों की संख्या बत्तीस है / पुण्यविजयजी द्वारा निर्दिष्ट प्रकीर्णकों में से १२वें, 193, २०वें और २२वें क्रम पर उल्लिखित क्रमशः अजीवकल्प, अंगविद्या, सिद्धप्राभृत और जीवविभक्ति, 'पइण्णयसुत्ताई' में उपलब्ध नहीं हैं / पइण्णयसुत्ताई (दो भागों) में संग्रहीत बत्तीस प्रकीर्णकों में से ग्यारह अर्थात् 1. देवेन्द्रस्तव, 2. तन्दुलवैचारिक, 3. चन्द्रावेध्यक, 4. गणिविद्या, 5. ऋषिभाषित, 6. द्वीपसागरप्रज्ञप्ति, 7. वीरस्तव, 8. गच्छाचार, 9. सारावली, 10. ज्योतिषकरण्डक और 11. तीर्थोद्गालि ये पृथक्-पृथक् विषयों को आधार बनाकर रचे गये हैं / शेष इक्कीस 1. मरणसमाधि, 2. आतुरप्रत्याख्यान, 3. महाप्रत्याख्यान, 4. संस्तारक, 5. चतुःशरण, 6. आतुरप्रत्याख्यान, 7. भक्तपरिज्ञा, 8. वीरभद्राचार्य कृत आतुरप्रत्याख्यान, 9. प्राचीनाचार्य विरचिताराधनापताका, 10. वीरभद्राचार्य विरचितआराधना पताका, 11. पर्यन्ताराधना, 12. आराधनापंचकम्, 13. आतुरप्रत्याख्यानम्, 14. आराधनाप्रकरणम्, 15. जिनशेखर श्रावक प्रति सुलसाश्रावक कारापित आराधना, 16. नन्दनमुनि आराधित आराधना, 17. आराधना कुलकम, 18. मिथ्या दुःकृत कुलकम, 19. मिथ्यादुःकृत कुलकम्, 20. आलोचना कुलकम् और 21. आत्मविशोधिकुलकम् प्रकीर्णक समाधिमरण का ही किसी न किसी रूप में प्रतिपादन करते हैं / उल्लेखनीय है कि नन्दनमुनि आराधित आराधना प्रकीर्णक के अतिरिक्त समस्त प्रकीर्णक प्राकृत भाषा में रचे गये हैं। जहां तक इन प्रकीर्णकों के आकार या गाथा संख्या का प्रश्न है तो सबसे लघ आकार वाले आराधना कुलक में मात्र 8 गाथाएँ हैं और सबसे दीर्घ आकार वाले प्रकीर्णक तित्थोगालि में 1261 गाथाएँ हैं / प्रकीर्णकों की कुल गाथा सं. 7800 के लगभग है / उल्लेखनीय है कि समान शीर्षक वाले भी कुछ प्रकीर्णक हैं / आतुरप्रत्याख्यान नाम के तीन प्रकीर्णक हैं तथा चतुःशरण, आराधनापताका और मिथ्यादुष्कृतकुलक शीर्षक दो-दो प्रकीर्णक हैं / क्रमसं० 12 आराधना पंचकम्' स्वतंत्र रचना नहीं है बल्कि कुवलयमाला (उद्योतनसूरि कृत) से . उद्धृत अंश है अतः इसे प्रकीर्णक में सम्मिलित करना तर्कसंगत प्रतीत नहीं होता है। ___विषयवस्तु का प्रतिपादन करने हेतु प्रकीर्णक को समाधिमरण विषयक प्रकीर्णक और समाधिमरणेतर प्रकीर्णक इन दो समूहों में वर्गीकृत किया गया है / प्रस्तुत लेख में समाधिमरण विषयक प्रकीर्णकों की विषयवस्तु पर ही प्रकाश डाला गया है। ____ गाथा संख्या के आरोह क्रम में इन समाधिमरण विषयक प्रकीर्णकों की सूची गाथा . संख्या सहित इस प्रकार प्रस्तुत की जा सकती है (1) आराधना कुलकम् [8], (2) आलोचना कुलकम्[१२], (3) मिथ्यादुष्कृतकुलकम्[१५],(४) मिथ्यादुष्कृतकुलकम[१७],(५) आत्मविशोधिकुलकम, [24],(6) चतुःशरण प्रकीर्णक[२७], (7) आतुरप्रत्याख्यान [30].(8) आतुर प्रत्याख्यान [34].(9) नन्दनमुनि आराधित आराधना [40].(10) कुशलानुबन्धि