Book Title: Prakirnak Sahitya Manan aur Mimansa
Author(s): Sagarmal Jain, Suresh Sisodiya
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

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Page 207
________________ प्रकीर्णक और प्रवचनसारोद्धार : 195 जं संठाणं तु इहं भवं चयंतस्स चरिमसमयम्मि / आसी य पएसघणं तं संठाणं तहिं तस्स || ( देविंदत्थओ पइण्णयं, गाथा 287) जं संठाणं त् इहं भवं चयंतस्स चरिमसमयम्मि / आसीय पएसघणं तं संठाणं तहिं तस्स || (प्रवचनसारोद्धार, गाथा 1/484 ) तिन्नि सया तेतीस धणुत्तिभागो य होइ बोधव्वो / एसा खलु सिद्धाणं उक्कोसोगाहणा भणिया / / (देविंदत्थओ पइण्णयं, गाथा 289) तिनि सया बाणउया इत्थुववासाण होति संखाए / पारणया गुणवत्रा भद्दाइतवा इमे भणिया / / (प्रवचनसारोद्धार, गाथा 1/1540 ) वेयण वेयावच्चे इरियट्ठाए य संजमट्ठाए / तह पाणवत्तियाए छटुं पुण धम्मचिंताए / ( गच्छायार पइण्णयं, गाथा 59) वेयण वेयावच्चे इरियट्ठाए य संजमट्ठाए / तह पाणवत्तियाए छटुं पुण धम्मचिंताए / (प्रवचनसारोद्धार, गाथा 1/737) सत्येण सुतिक्खेण वि छेत्तुं भेत्तुं व जं किर न सक्कं / तं परमाणुं सिद्धा भणंति आदी पमाणाणं / / (जोइसकरंडग पइण्णयं, गाथा 83 ) सत्येण सुतिक्खेणवि छेत्तुं भेत्तुं च जं किर न सक्का / त परमाणुं सिद्धा वयंति आइं पमाणाणं / / ___(प्रवचनसारोद्धार, गाथा 1/1390) परमाणू तसरेणुं रधरेणुं अग्गयं च केसस्स / लिक्खा जूया य जवो अट्ठगुणविवड्डिया कमसो / / (जोइसकरंडग पइण्णयं, गाथा 84.) परमाणू तसरेणू रहरेणू अग्गयं च बालस्स / लिक्खा जूया य जवो अट्ठगुणविवड्डिया कमसो / / (प्रवचनसारोद्धार, गाथा 1/1391) सुसमसुसमा य सुसमा हवंति तहा सुसमदुस्समा चेव। दुस्समसुसमा य हवे दुस्सम अतिदुस्समा चेव / / (जोइसकरंडग पइण्णयं, गाथा 95 )

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