Book Title: Prakirnak Sahitya Manan aur Mimansa
Author(s): Sagarmal Jain, Suresh Sisodiya
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
________________ 202 : डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय चत्तारि विचित्ताइं विगईनिज्जहियाइं चत्तारि / संवच्छरे य दोनि उ एगंतरियं च आयामं / / (प्रवचनसारोद्धार, गाथा 1/875) नाइविगिट्रो य तवो छम्मासे परिमियं च आयामं / अण्णे वि य छम्मासे होइ विगिटुं तवोकम्मं / / ( आराहणापडाया (पाईणायरियविरइया) गाथा 11) नाइविगिट्रो य तवो छम्मासे परिमियं य आयामं / अवरेऽवि य छम्मासे होइ विगिटुं तवोकम्मं / / . . . (प्रवचनसारोद्धार, गाथा 1/876) वासं कोडीसहियं आयामं कट्ठ आणुपुव्वीए / संलेहित्तु सरीरं भत्तपरित्रं पवज्जेइ / / (आराहणापडाया (पाईणायरियविरइया) गाथा 12) वासं कोडीसहियं आयामं कटु आणुपुवीए / गिगिकंदरं व गंतुं पाओवगमं पवज्जेइ / / (प्रवचनसारोद्धार, गाथा 1/877) उब्वत्त दार संथार कहग वाई य अग्गदारम्मि / भत्ते पाण वियारे कहग दिसा जे समत्था य / / (आराहणापडाया (पाईणायरियविरइया) गाथा 33) उब्वत्त दारं संधार कहग वाईय अग्गदारंमि / भत्ते पाण वियारे कहग दिसा जे समत्था य / / (प्रवचनसारोद्धार, गाथा 1/629) काले विणए बहुमाणे उवहाणे तहा अनिण्हवणे / वंजण अत्थ तदुभए सुयनाणविराहणं वियडे || ___ ( आराहणापडाया (पाईणायरियविरइया) गाथा 176 ) काले विणए बहुमाणोवहाणे तहा अनिण्हवणे / वंजण-अत्थ तदुभए अट्ठविहो नाणमायारो / / (प्रवचनसारोद्धार, गाथा 1/267) निस्संकिय निक्कंखिय निवितिगिच्छा अमूढदिट्ठी य / उववूह थिरीकरणे वच्छल्ल पहावणे अट्ट / / ( आराहणापडाया (पाईणायरियविरइया) गाथा 180) निस्संकिय निक्कंखिय निव्वितिगिच्छा अमूढदिट्ठी य। . उववूह-थिरीकरणे वच्छल्ल-पभावणे अट्ठ // (प्रवचनसारोद्धार, गाथा 1/268)
Page Navigation
1 ... 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274