________________ समाधिमरणेतर प्रकीर्णकों की विषयवस्तु : 43 गर्भावस्था के विवेचन के पश्चात् इसमें मनुष्य की सौ वर्ष की आयु को निम्न दस अवस्थाओं में विभक्त किया गया है-(१) बाला (2) क्रीड़ा (3) मंदा (4) बला (5) प्रज्ञा (6) हायणी (7) प्रपञ्चा(८) प्राग्भारा(९) मुन्मुखी और (१०)शायनी। इन अवस्थाओं में व्यक्ति को अपना समय जिनभाषित धर्म का पालन करने में बिताने की प्रेरणा दी गई है / 10 चक्रवर्ती, तीर्थंकर आदि की देह रिद्धि का निरूपण करते हुए कहा है कि पहले व्यक्ति हजारों, लाखों वर्ष जीवित रहते थे, उनमें जो विशिष्ठ, चक्रवर्ती, तीर्थंकर, यौगलिक आदि पुरुष होते थे, वे अत्यन्त सौम्य, सुन्दर, उत्तम लक्षणों से युक्त, श्रेष्ठ गज की गति वाले, सिंह की कमर के समान कटिप्रदेश वाले, स्वर्ण के समान कान्ति वाले, रागादि उपसर्गों से रहित, श्रीवत्स आदि शुभचिह्नों से चिह्नित वक्षस्थल वाले, पुष्ट हाथों वाले, चन्द्रमा, सूर्य, शंख, चक्र आदि के चिह्नों से युक्त हथेलियों वाले, सिंह के समान कन्धों वाले, सारस पक्षी के समान स्वर वाले, विकसित कमल के समान मुख वाले, उत्तम व्यञ्जनों, लक्षणों आदि से परिपूर्ण होते थे।११ प्रसंगोपरान्त सम्प्रतिकालीन मनुष्यों की देह, संहनन आदि की हानि काविवेचन शतायुष्य मनुष्य के आहार परिमाण का विवेचन करते हुए कहा है कि सौ वर्ष जीने वाला मनुष्य बीस युग, दो सौ अयन, छ: सौ ऋतु, बारह सौ महीने, चौबीस सौ पक्ष, चार सौ सात करोड़ अड़तालीस लाख चालीसहचार श्वासोच्छ्वास जीता है और इस समयावधि में वह साढ़े बाईस वाह तंदुल खाता है / एक वाह में चार सौ साठ करोड़ अस्सी लाख चावल के दाने होते हैं / इसप्रकार मनुष्य साढ़े बाईस वाह तंदुल खाता हुआ साढे पाँच कुंभ मूंग, चौबीस सौ आढक घृत और तेल, छत्तीस हजार पल नमक खाता है / यदि प्रतिमाह वस्त्र बदले तो सम्पूर्ण जीवन में बारह सौ धोती धारण करता है / यह भी स्पष्ट कर दिया है कि मनुष्य सौ वर्ष तक जीवित रहे और उसके पास यह सब उपभोग योग्य सामग्री हो तभी इस सामग्री का उपभोग वह कर पाता है / जिसके पास खाने को ही नहीं हो, वह इनका उपभोग कैसे करेगा.?१३ - समय, उच्छ्वास आदि का काल परिमाण बतलाते हुए कहा है कि एक उच्छ्वास निःश्वास में असंख्यात समय होते हैं / एक उच्छ्वास निःश्वास को ही प्राण कहते हैं, सात प्राणों का एक स्तोक, सात स्तोकों का एक लव, सत्तहत्तर लवों का एक मुहूर्त, तीस मुहूर्त या साठ घड़ी का एक दिन-रात, पन्द्रह अहोरात्र का एक पक्ष और दो पक्ष का एक महिना होता है / बारह मास का एक वर्ष होता है / एक वर्ष में 360 रात-दिन होते हैं / एक रातदिन मे एक लाख तेरह हजार एक सौ नब्बे उच्छ्वास होते हैं / तत्पश्चात् व्यक्ति को आयु की अनित्यता का बोध कराते हुए कहा है कि अज्ञानी व्यक्ति निद्रा, प्रमाद, रोग एवं भय की स्थितियों में अथवा भूख, प्यास और कामवासना की पूर्ति में अपने जीवन को व्यर्थ गंवाते है जबकि उन्हें चारित्ररूपी श्रेष्ठ धर्म का पालन करना चाहिए / 14