Book Title: Prakirnak Sahitya Manan aur Mimansa
Author(s): Sagarmal Jain, Suresh Sisodiya
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

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Page 171
________________ प्रकीर्णक और शौरसेनी आगम साहित्य : 159 साहति जं महल्ला आयरियं / महल्लपुव्वेहिं / जं च महल्लाणि तदो महल्लया इत्तहे याइं / / (चारित्रप्राभृत, गाथा 30 ) तेसिं चेव वयाणं रक्खटुं राइभोयणनिवित्ती / अटु य पवयणमायाओ भावणाओ य सव्वाओ / / ( आराहणापडाया ( वीरभद्दायरियविरइया), गाथा 679) तेसिं चेव वदाणं रक्खड़े रादिभोयणणियत्ती / अट्ठय पवयणमादा य भावणाओ य सव्वाओ / / (मूलाचार, गाथा 1/98) संजमसिहरारूढो घोरतवपरक्कमो तिगुत्तो वि / इति जो कुणइ नियाणं संसारं सो पवड्ढेइ / / ( आराहणापडाया ( वीरभद्दापरियविरइया), गाथा 686) संजमसिहरारूढो घोरतवपरक्कमो तिगुत्तो वि / पकरेज्ज जइ णिदाणं सो विय वट्टेइ दीहसंसारं / / (भगवती आराधना, गाथा 1221) मिच्छत्तसल्लदोसा पियधम्मो साहुवच्छलो संतो / बहुदुक्खे संसारे सुइरं भमिओ मिरीई वि || ( आराहणापडाया ( वीरभद्दायरियविरइया), गाथा 691) मिच्छत्तसल्लदोसा पियधम्मो साधुवच्छलो संतो / बहुदुक्खे संसारे सुचिरं परिहिंडिउ मरिची / / (भगवती आराधना, गाथा 1288 ) तो तस्स तिगिच्छाजाणएण खमगस्स सव्वसत्तीए / विज्जाएसेणऽहवा परिकम्मं होइ कायव्वं / / . ( आराहणापडाया ( वीरभदायरियविरइया), गाथा 720) तो तस्स तिगिंछाजाणएण खवयस्स सव्वसत्तीए / विज्जादेसवसेण य पडिकम्मं होइ कायव्वं / / (भगवती आराधना, गाथा 1497) को सि तुमं ? किनामो ? कत्थ वससि को व संपयं कालो / किं कुणसि ? कह व अच्छसि ? को वा हं ? सुयणु ! चिंतेसु / / ( आराहणापडाया ( वीरभद्दायरियविरइया), गाथा 725) को सि तुमं किंणामो कत्थ वससि को व संपदी कालो / किं कुणसि तुमं कह वा लच्छसि किं णामगो वा हं / / (भगवती आराधना, गाथा 1505)

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