________________ प्रकीर्णक साहित्य का कथात्मक वैशिष्ट्रय (संक्षिप्त-सार) * डॉ० प्रेमसुमन जैन प्राचीन जैन आगमों की परम्परा में प्रकीर्णक ग्रन्थों का महत्त्वपूर्ण स्थान है / आगम के प्रमुख विषयों को संकलित रूप में इन ग्रन्थों में प्रस्तुत किया गया है / आगम और व्याख्या साहित्य के बीच की कड़ी के रूप में प्रकीर्णकों का महत्त्व है / प्रकीर्णकों की संख्या, रचना, विषयवस्तु एवं काल आदि के सम्बन्ध में विद्वानों ने अपने ढंग से प्रकाश डाला है / यद्यपि यह विषय गहन और तुलनात्मक अध्ययन तथा उदार समदृष्टि की अपेक्षा रखता है / प्रमुख रूप में मान्य जो दस प्रकीर्णक हैं उनमें 1. मरणसमाधि, 2. संस्तारक और 3. भक्तपरिज्ञा दृष्टान्त और कथात्मक दृष्टि से विशेष महत्त्व के हैं | आराधनापताका नाम से संकलित प्रकीर्णक में भी कतिपय कथाओं/ दृष्टान्तों का उल्लेख है / प्रस्तुत आलेख में इन्हीं प्रमुख प्रकीर्णकों के कतिपय कथाप्रसंगों पर चिंतन किया गया है / मरणसमाधि प्रकीर्णक में चरित्रपालन/ध्यान के समय उपसर्गों को शान्तिपूर्वक सहन करने वाले जिन साधकों का उल्लेख किया गया है, वे हैं-जिनधर्म श्रेष्ठि, मेतार्यऋषि, चिलातीपुत्र, गजसुकुमाल, सागरचन्द्र, अवंतिसुकुमाल, चन्द्रवतंसकनृप, दमदन्तमहर्षि, खंदक मुनि, धन्य शालिभद्र, पांचपांडव, दंड अनगार, सुकोशलमुनि, वज्र ऋषि, अर्हत्रक, चाणक्य तथा इलापुत्र आदि / (गाथा 413 से 484 ) ... इसी ग्रन्थ की गाथा 486 से 503 के अन्तर्गत 22 परीषहों को सहनकर ध्यान करने वाले साधकों के नाम हैं-हस्तिमित्र, धनमित्र, मुनिचतुष्क, अर्हत्रक, सुमनोभद्र मुनि, आर्यरक्षित क्षमाश्रमण के पिता, जातिभूज, स्थूलभद्रमुनि, दत्त, कुरूदत्त पुत्र, सोमदत्तसोमदेव, माथुर क्षपक, स्कंदक मुनि के शिष्य, बलभद्र, ढंढमुनि, काल वैश्यक, भद्रमुनि, सुनंद, इन्द्रदत्त, आर्यकालक के शिष्य सागरचन्द्र, असकटपिता और आषाढ़भूति आचार्य। - इसी ग्रन्थ में धर्मपालन करने वाले तिर्यंचों के उदाहरणों में मत्स्य, वानरयूधपति, सिंहश्येनहस्ति, गंधहस्ति, सर्पयुगल और भद्रकमहर्षि का भी गुणगान किया गया है (गाथा 507-524) / - संस्तारक प्रकीर्णक में संधारा लेने वाले जिन प्रमुख साधकों की महिमा वर्णित है, उनमें अत्रियापुत्त, स्कंदकमुनि शिष्य, दंडमुनि, सुकौशलमुनि, अवंति सुकुमार, कर्तिकार्य, धर्मसिंह, चाणक्य, अभयघोष, ललितघटा, सिंहसेन, कुरुदत्त, चिलातीपुत्र, गजसुकुमाल एवं महावीरशिष्य आदि प्रमुख हैं। . * लेखक से प्राप्त संक्षिप्त-सार प्रस्तुत है / -सम्पादक