________________ आगम साहित्य में प्रकीर्णकों का स्थान, महत्त्व, रचनाकाल एवं रचयिता : 9 13. (क) देवेन्द्रस्तव प्रकीर्णक, गाथा 310, (ख) ज्योतिषकरण्डक प्रकीर्णक, गाथा 403-405 देविंदत्थओ, भूमिका पृष्ठ 18-22 पिंडनियुक्ति, गाथा 498 (क) कुसलानुबंधि अध्ययन प्रकीर्णक, गाथा 63, (ख) भक्तपरिज्ञा प्रकीर्णक, गाथा 172 गच्छायार पइण्णयं (गच्छाचार-प्रकीर्णक), प्रका० आगम, अहिंसा-समता एवं प्राकृत संस्थान, उदयपुर, प्रथम संस्करण 1994, भूमिका पृष्ठ 20-21 * मानद निदेशक आगम, अहिंसा-समता एवं प्राकृत संस्थान पद्मिनी मार्ग उदयपुर (राज.)