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२] मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक । ____ गुजरात शाखामें ७५०से ९८०तक गूजर और राष्ट्रकूटोंने साहित्यकी बहुत उन्नति की तथा खासकर जैनियोंको बहुत महत्त्व दिया । इनमें राजा अमोघवर्ष प्रथम (८१४- (७७) जन साहित्य का खास संरक्षक हुआ है । इसकी उदारताने अरबोंके दिलोंमें बड़ा असर किया था वे इसे वल्ल पर.ज कहते थे । राष्ट्रकूटकी दूसरी शाखा दक्षिणमें ( ८०० से १००८ तक ) राज्य करती थी। सन् ७७५ में पारसी लोग फारसकी खाड़ीसे व्यापारको आए । इन राजाओंने जो — जैनधर्म, शैव, विष्णु तीनों धर्मोपर माध्यस्थभाव रखते थे' इनका बहुत आदर किया। सन् ९७३ में दक्षिणमें बलवा हुआ तब प्राचीन चालुक्य वंशीय तैलने राष्ट्रकूटोंको दवाकर नया चालुक्य राज्य स्थापित किया व राज्यधानी ( दक्षिणमें) कल्याणीमें रक्खी। इसके पीछे बैरप्याने अपना राज्य दक्षिण गुजरातमें जमाया, परन्तु दूर दक्षिणमें शिलाहार लोग समुद्रतटतक राज्य करते रहे।
दक्षिणमें ९७३ से ११५६ तक कल्याणीके चालुक्योंने राज्य किया । इन्होंने कांचीके चोलोंसे युद्ध किया तथा मालवाके परमारोको व त्रिपुरा (जबलपुर) के कलचरियोंको विनय किया। हलेविलका होयसाल वंश मैसूरमें राज्य करता रहा (११२०) व सिंधाणुके नीचे याद । दक्षिणके राज्य रहे (१२१२) । __बई श:--वर्तमान बम्बईमें सात भिन्न २ टापू गर्भित हैं । जो राजा अशोकके समय में आगंत या उत्तर कोंकणका एक विभाग था। पीछे दूसरी शताब्दीमें यहां शतमान लोग राज्य