Book Title: Prachin Jain Smaraka Mumbai
Author(s): Shitalprasad
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 194
________________ १७८] मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक । वंश संस्थापक महाराजा चंद्रगुप्त थे (सं० नोट-“यह राजा जैनधर्मानुयायी थे व श्री भद्रबाहु श्रुतकेवलीके शिप्य मुनि होगए थे" यह बात श्रवण बेलगोला आदिके शिलालेखोंसे प्रमाणित है) ने ( सन् ३१९ वर्ष पूर्व) अपना शामन गुजरातपर भी बढ़ाया था.। गिरनारकी चट्टानमें जो सन् १५०का रुद्रदामनका लेख है उससे यह प्रगट होता है । (देखो R. A. S..J. 191 P. 47 ) कि इस चट्टानके पास जो मुदर्शन झील है उसको मूलमें महाराज चंद्रगुप्तके साले वैश्यजातीय पुप्पगुप्तने बनवाया था। ( राजा अशोकने भी एक सेठकी कन्या देवीको विवाहा था । देखो Cunninghan Blilza Tipes 45 arto Turnouis maha. vansar G ) इस लेख की भाषामे निःसंदेह यह प्रगट होता है कि चंद्रगुप्तका राज्य गिरनारके देशपर था तथा पुष्पगुप्त उमका राज्याधिकारी (Goiterno:) था। यही लेख कहता है कि महागन अशोकके राज्यमें उमके राज्याधिकारी यवनगज तुम्पने इस झीलको नालियोंसे भूपित किया था। राना चंद्रगुप्त से लेकर अशोक तक मौर्य राज्य बहुत विस्तृत था। अगोकने अपने बड़े गज्यकी हद्दोंपर म्तंभ गड़वा दिये थे। जमे उत्तर पश्चिममें कपर्दिगिरि पर या वाकृके शावाजगढ़ पर. जो पाली लिपिमें हैं तथा उत्तरमें कालसी पर, पूर्व में धौली और जंगठा पर. पश्चिममें गिरनार और नुपारा पर, दक्षिणने मैसर, ये सब मौर्य लिपिमें हैं.... ___ मौर्योकी राज्यधानी गुजरातमें गिरिनगर या जूनागढ़ थी। क्षत्रपोंके राज्य (सन् . ० ० से ३८० तक ) तथा गुप्तोंके राज्य ( ३८० से ४६० तक ) में यही राज्यधानी थी। मौर्योकी

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