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मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक।
भूगोल वेत्तामें (सन् १५०) व यूनानी लेखक पैरीप्लसने ( सन् २४०) चीनीहुईनसांगने भी सन् ६०० से ६४० में वल्लभी
और सौराष्ट्रको भिन्नर प्रांत लिखा है। वल्लभीको वर्तमानमें गोहिलवाडा कहते हैं इसीको जिनप्रभसूरिने सेव॒नय कल्पमें वल्लकवसाड़ लिखा है । (३) लाट प्रांत माही नदीसे ताप्ती तक है। टोलिमीने इसे लारिकी कहा है। तीसरी शताब्दीके वात्स्थापन रचित कामसूत्रमें मालवाके पश्चिम लाट देश आया है। छठी शताब्दीमें ज्योतिषी बराहमिहिरने भी लाटका नाम लिया है। अनंताके ५ वीं शदीके लेखमें है । मंदमोरका लेख (सन् ४३७) कहता है कि लाट देशमें रेशमके बुननेवाले थे । लाट निवासी राजाओंको राष्ट्रकूट वंशी कहते हैं। इस वंशका बडा राना महाराजा अमोघ वर्ष था (सन् ८५१-८७९) उसने इसे राट्ट वंश कहा है । लाट टूर जो मौंदत्ती और बेलगामके राठोंका मूल नगर था इमी लाट देशमें होगा । भरुच और मालवाके धारके मध्यमें जो देश हैं जहां मुख्य नगर बाघ और टांग है उमको अब भी राठ कहते हैं
गुजरातमें गिरनार पर्वतकी चट्टानका लेख सबसे पुराना सन् ई० से २४० वर्ष पहलेका है दूसरा लेख वहीं क्षत्रप रुंद्रादामनका सन् १३९ का है । इनमें मौर्य महाराज चन्द्रगुप्त (सन् ४० से ३०० वर्ष पहले) का वर्णन है ।
हेवट साहबने गुजरातका पता सन ई० से ६००० वर्ष पूर्व तक लगाया है। मिश्र देशमें जो कब खोदी गई हैं वे सन ई० से १७०० वर्ष पहलेकी हैं उनमें भारतीय तंजेव व नील पाई गई है (J. R. A. S. XX 206) सन् ई० से ४०००