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गुजरातका इतिहास। ( Indian Antiquary XIX 233 ) में लिखते हैं कि भिन माल भीमसेन राजाकी राज्यधानी थी तथा विद्याका मुख्य केन्द्र था । ( राज्यमाला भाग १ पत्र ५६ ) के अनुसार इस श्रीमालनगरका राजा मूलराजसोलखी (सन् ९४२-९९७)के साथ उस हमले ने था जो सोरठके विरुद्ध किया गया था। यहां बहुत बस्ती थी
२ दक्षिण-गुजरात-इसकी राज्यधानी नांदीपुरी थी वर्तमानमें नांदोद जो राजपीपला राज्यकी राज्यधानी है । सन् ५८९ से ७३५ तक यह बहुत महत्वशाली नगर था जैसा प्राचीन शिला- , लेग्वसे प्रगट है।
चौथीसे आठवीं शताब्दी तक उत्तर और दक्षिणके मध्यका गुजरात देश वल्लभियोंके अधिकारमें था जो मूलमें गुर्जर थे।
इस गुजरातके प्राचीन विभाग-तीन थे (१) आनन (२) सौराष्ट्र और (३) लाट--आन की राज्यधानी आनंदपुर या बड़नगर या आनर्तपुर थी जो नाम वल्लभी राजाओंने सन ५०० से ७०० तकमें व्यवहार किया है. (Id Ant: VII 73.m) रुद्रामन क्षत्रपके गिरनारके लेख ( मन १५० ) में आनन और सौराष्ट्रको भिन्न २ प्रांत लिग्वा है । स्कंध गुप्तके गिरनार लेख सन् ४५० में भी सौराष्ट्रका नाम है । नामिकके गौतमीपराके लेखमें सोरठ नाम प्रारुतमें हैं (सन् १५०)। १३ वी व १४ वीं शताब्दीके श्री जिनप्रभमूरि रचित तीर्थकल्पमें सुराया नाम है । विदेशियोंने भी इसका नाम लिखा है जैसे स्टेशनों (५० सन् ई० पहलेसे २० तक) ने व ल्पिनी (सन् ७०) ने व टोलिमी मिश्र