Book Title: Prachin Jain Smaraka Mumbai
Author(s): Shitalprasad
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 207
________________ गुजरातको इतिहास । [ ११ ये लोग मालवासे आये और अपना संवत मालवाके समान कार्तिकसे गिनते थे। गुप्तलोग चैत्रसे गिनते थे । वल्लभीराजागण | (१) सेनापति भट्टारक सन् १०९ - १२० । इसने मिहरवंशके माद्रिक (४७० - ५०९ ) को हटाया था जिनका राज्य काठियावाडमें था | अब भी मिहर लोग काठियावाडके दक्षिण वर्दा पहाड़ी में पाए जाते हैं। पोरबंदर के जेठोर सर्दार मिहर राजा कहलाते हैं। सन् ४७० में गुप्तों और मिहरोंसे युद्ध हुआ था तब गुप्त हार गए थे। मिहिर और गुप्तोंके पंजाब विजई मिहिर कुल (९१२५४० ) में कुछ सम्बन्ध था । काठियावाड़ के उत्तर पूर्व मिहर लोग १३वीं शदी तक राज्य करते रहे (रामायण) । सेनापति भट्टारकके चार पुत्र थे । धरसेन, द्रोणसिंह, रोग और धरता १०० से २६ तकका पता नहीं । (२) ध्रुवसेन प्रथम (१९६ - २३९) ४ वर्षका पता नहीं । (३) ग्रहसेन ( १३९ -१६० ) यह बड़ा राजा था । मंत्री स्कन्धभट था । (४) धरसेन द्वि० (१६९ १८९ ) ग्रहसेनका पुत्र । (५) शिलादित्य नं ० १ (२९०-६०९) पुत्र धर ० | इसको धर्मादित्य भी कहते थे। मंत्री चंद्रभट्टी थे । (६) सरग्रह - (६१०-६१९) भाई शिला० (७) घरमेन तृ० (६२९-६२० ) पुत्र ० ख० (८) ध्रुवसेन द्वि० या बालादित्य (६२० -- ६४०) भ्राता धरसेन (९) धरसेन च० (६४० - ६४९) पुत्र ध्रुव ० यह बहुत बलवान

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