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गुजरातका इतिहास
[२१५ लोगोंको पसंद आई वह राना और प्रनाका उनके मुसल्मानी धमकी तरफ माध्यस्थ भाव है । सन् ९१६में आबू नईद लिखता है कि हिन्दू लोगोंमें परदेका रिवाज न था। राजाओंकी रानियां भी स्वतंव्रतासे दरवारमें आतीं व लोगोंसे मिलती थीं। ११ वीं शदीके अंतमें अलहदीसी लिखता है कि भारतवासी बड़े न्यायशील हैंअपने कारोव्यवहारमें नीतिका बहुत ध्यान रखते हैं।
इनकी ईनामदारी, मचा विश्वास व सत्यताके कारण ही विदेशी उनके देश में बहुत मळ्यामें आते हैं और वाणिज्य की उन्नति करते हैं।
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