Book Title: Prachin Jain Smaraka Mumbai
Author(s): Shitalprasad
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

View full book text
Previous | Next

Page 229
________________ गुजरातका इतिहास। [२१३ अलाउद्दीन खिलजीके भाई अलफ्तखाने नशरतखांक माथ १२९७ में ले लिया । अलफ्तखाने बहुतसे जैन मंदिरोंको तोड़कर अनहिलवाड़ामें मसनिदें बनवाई। मुसलमानलोग-(१२९७-१७६०) अहमद प्रयमने सन् १४१३ में वर्तमान अहमदाबाद वसाया व १४१९ में त्रिम्बकदाससे चांपानेर नगर लेकर ध्वंश किया तथा महमदशाहने पावागढ़को सन् १४८४ में लिया । नोट-आबू पर्वतसे ६० मील पश्चिम भिनयाल-जो ऐतिहासिक श्रीमाल है-छठीसे नौमी शताब्दी तक गुजरातकी राज्यधानी रहा । यहां चार जैन मंदिर श्री पार्श्वनाथजीके हैं। यूनान लोगोंको पश्चिम भारतका ज्ञान था ष्टैवो (सन् ६३ ई० पूर्वसे २३ सन ई०) लिखता है कि सन १४में पोरसके पाससे तीन भारतीय एलची भेट लेकर आगष्टम बादशाहके पास आए थे-उनहीके साथ भरुचसे एक जैन श्रमणाचार्य आए थे-- इन्होंने अथन्सनगरमें ममाधिमरण किया था। अरब लेखकोंने गुजरातके सम्बन्धमें लिखा है अलविरुनी (सन् १०३०) वल्लभवंशके सम्बन्धमें लिखता है कि अनहिलवाड़ाके दक्षिण ९० मील वल्लभीनगर था जैन लेखक लिखते हैं कि वल्लभीका पतन सन् ८३० में हुआ। सन् ८५०से १२५० तक जितने गुजरातके शासक हुए हैं उन सबमें जिस वंशका प्रभाव अरबोंपर पड़ा वह मान्यखेड़ वा बल्हारवंश है (सन् ६३०से ९७२) अरबोंने राष्ट्रकूटोंकी बहुत

Loading...

Page Navigation
1 ... 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247