Book Title: Prachin Jain Smaraka Mumbai
Author(s): Shitalprasad
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 209
________________ गुजरातका इतिहास [१९३ स्थान बनाया। तथा इनही गोहिल लोगोंने मेवाड़में वल्लीनगर वसाया जहां ये सन् ९६८ तक राज्य करते रहे, जिनकी उपाधि सेसोदिया सर्दार वल्लभी शिलादित्य रही । सेसोदिया लोग अपना नाम गोहेलाट होनेसे अपनी उत्पत्ति गुफामें उत्पन्न गुहसे बताते हैं। शायद यह गुहसेन (५५५-५५७)से उत्पन्न हों। ___ अरबलोग कहते हैं कि वल्लभीकी एक शाखा बलेहमें उस समय तक राज्य करती रही जबतक सन् ९५० में मृलराज सोलंकीने उसको जीत न लिया । वाला लोगोंका पुराना राज्यस्थान जूनागढ़से दक्षिण पश्चिम ९ मील बंथली था । मेसोदिया या गोहिला लोग कहते हैं कि बालोंका मंस्थापक कनकसेन सन १५०में उत्तर भारतसे आया और घोलका तथा घांकमें वश गया। चालुक्यांश (६३४-७४०)-चालुक्योंने दक्षिणसे आकर गुजरातको विजय किया था। पहले इन्होंने पुरी अर्थात राजूपुरी, या जंजीरा या एलीफेंन्टाके कोंकण मौर्योको जीता था । पांचवीं सदीमें प्रसिद्ध बाड़ राजा मुकेतुवर्मनके राज्यसे प्रमाणित है कि यह मौर्यवंश कोंकणमें राज्य कर रहा था। पीछे कीर्तिवर्मनके अधिकारमें चालुक्योंने इनको हराया था। उनकी अंतिम विनय पुलकेशी द्वि० (सन् ६१०-६४०) के अधिकारी चंड डंडने की थी और उनकी राज्यधानी पुरी ले ली थी। (Ind. Ant. VIII 243-4). फिर येही चालुक्य उत्तरकी तरफ बढ़ते गए । दक्षिण वीजापुरके रोहोलीके शिलालेखसे प्रगट है कि सन्

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