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मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक ।
गाल और तुर्क, सन् १६०० से १८०० तक अरब, आफ्रिकन, आरमीनियन, फ्रांसीसी, सन् १७५० से १८१२ तक वृटिश आए ।
तथा पृथ्वीद्वारा उत्तरसे सन् ई० से २०० वर्ष पूर्व से सन् ५०० तक स्कैथियन और हून, सन् ४०० से ६०० तक गुर्जर, सन् ७५० से ९०० तक पूर्वीय जादव और काथी, सन् ११०० से १२०० तक अफगान और मुगल, पूर्वसे सन् ई० ३०० वर्ष पूर्व मौर्य लोग, सन् १०० पूर्वसे ३०० तक छत्रप और अर्ध स्कैथियम ३०० में गुप्त लोग, सन् ४०० से ६०० तक गुर्जर, सन् १५३० में मुगल, सन १७५० में मराठा । दक्षिणमे मन् १०० में शतकर्णी, ६५० से ९९० में चालुक्य और राष्ट्र
कूट आए ।
शिलालेखोंसे यह प्रगट है कि गुर्जरोंका प्राचीन स्थान पंजाब व युक्त प्रान्त था वे मथुरामें सन् ई० ७८ में राजा कनिष्कके समयमें थे वहांसे वे सन ३०० के अनुमान राजपूताना, मालवा, खानदेश और गुजरातमें आए जब गुप्तोंका राज्य था और सन् ४९० के अनुमान स्वतंत्र राजा होगए । सन ८९० में काश्मीरके राजा शंकर वर्मन ने गुर्जर राजा अलखानापर हमला किया यह हार गया तब अलखानाने टक्कादेश या पंजाब देकर संधि करली | चीन यात्री हुईनमांग के समय में सन् ६२० में गुर्जरोंके दो स्वतंत्र राज्य थे ।
(२) उत्तरीय गुर्जर - जिसको चीनाने क्यूचलों लिखा है । इसकी राज्यधानी पिलोमो या भिनमाल या श्रीमाल थी । यह आसे उत्तर पूर्व ३० मील एक प्राचीन नगर है। एक जैन लेखक