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गुजरातका इतिहास ।
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बोधान, वारंगल आदि स्थानोंके स्मारकोंसे प्रगट है कि इन भागोंके शासक राजागण सातवींसें दशवीं शताब्दी तकके जैनधर्मसे प्रेम करते थे और यह धर्म बहुत उन्नतिपर था । पीछे शिव तथा विष्णु । भक्तोंने जैन मंदिरोंको नष्ट किया। वही दशा पाटनचेरूके मंदिरोंकी हुई है । (हैदराबाद १९१५-१६ )
गुजरातका इतिहास |
बम्बई गजेटियर जिल्द ? भागमें गुजरातका इतिहास सन् १८९६ में छपा था । उसमें से लिखा गया ।
पं० भगवानलाल इंद्रजीने प्राचीन गुजरातका इतिहास सन् ई० ३१९ पहलेसे १३०४ तक तय्यार किया था जिसको जैकसन साहबने पूर्ण किया था ।
गुजरातकी चौहद्दी है -पश्चिम में अरब समुद्र, उत्तर पश्चिम कच्छ खाडी, उत्तर- मेवाड, उत्तरपूर्व आवृ. पूर्व - विन्ध्याका वन, दक्षिणमें तापती नदी | इसके दो भाग हैं गुर्जरराष्ट्र और मौराष्ट्र या काठियावाड ।
गुर्जरराष्ट्र में ४५००० वर्गमील व मौराष्ट्रमें २७००० वर्गमील स्थान है ।
यहां सन ३०० ई० पहलेसे १०० ई० तक समुद्रद्वारा यूनानी, वैकटीरियावाले, पार्थियन और स्कैथियन आते रहे । सन् ६०० से ८०० तक पारसी और अरब आए । सन् ९०० से १२०० तक संगानम् लुटेरे, सन् १९०० से १६०० तक पुर्त