Book Title: Prachin Jain Smaraka Mumbai
Author(s): Shitalprasad
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 148
________________ १३२ ] मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक । अधिकार स्थिर रक्खा यहां बहुतसे शिलालेख विभु विक्रम धवलपरमादिदेव तथा कादम्ब सर्दार कीर्तिवर्मदेव शाका ९९० के हैं । ( India Antiquary IV Vol 205-6 ) भटकल या सुसगडी या मणिपुर - यह एक नगर तालुका होनावर में हैं जो होनावरसे २४ मील दक्षिण हैं, यह एक नदीके मुख पर बसा है जो अरब समुद्र में गिरती है। कारवार से दक्षिण पूर्व ६४ मील है । चौदहवीं और सोलहवीं शताब्दिमें यह व्यापारका स्थान था । कप्तान हौमिलटन (१६९० से १७२०) के कहने के अनुसार यहां एक भारी नगरके अवशेष थे । तथा १८ वीं शताब्दिके प्रारंभ में यहां बहुतसे जैन और ब्राह्मणोंके मंदिर थे । उन मंदिरोंमेंसे जानने योग्य महत्वके जैन मंदिर नीचे भांति हैं । जैन मंदिरोंकी रचना बहुत प्राचीन काल की है। उनमें अग्रसाला है, मंदिर है, ध्वजा स्तंभ है । (१) जत्तपा नायक चंद्रनाथेश्वर वस्ती - यह यहां सबसे बड़ा जैन मंदिर है । एक एक खुले मैदानमें हैं। चारों तरफ पुराना कोट है । इसमें अग्रसाला, भोगमंडप तथा खास मंदिर है । मंदिर में दो खन हैं। हरएक खनमें तीन २ कमरे हैं, जिनमें श्री अरह, मल्लि, मुनिसुव्रत, नमि, नेमि तथा पार्श्वनाथकी मूर्तियां हैं। परन्तु ये सब प्रायः खंडित हैं । इस मंदिरके पश्चिम भोगमण्डपकी दीवालों में सुन्दर खिडकियां लगी हैं । अग्रशालाका मंदिर भी दो खनका है हरएक दो कमरे हैं जिनमें श्री ऋषभ, अजित, संभव, अभिनन्दन, तथा चद्रनाथेश्वरकी प्रतिमाएं हैं । द्वारपर द्वारपाल भी हैं । इसकी कुल लंबाई ११२ फुट है, आगे मंदिरकी चौड़ाई

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