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हैदराबाद जिला। [१६७ इन्द्र और अम्बिका ( इन्द्राणी) है और मामने सिंहासनपर पद्मासन चमरेन्द्र सहित तीर्थकर विराजमान हैं। इस मंदिरमें श्री गोमटस्वामीकी मूर्ति खास गुफा और इम मंदिरके मध्य सामने कोरी हुई है।
इन दोनोंकी बाई तरफ और करीब २ इतना ऊँचा-जितने ये दोनों हैं-एक कमरा करीब ३० फुट चौड़ा व २५ फुट गहरा है । सामने एक भीत है निमके उपर द्वारके हरतरफ एक खंभा है। भीतके ऊपरी भागपर बहुतसे कमलादि कोरे हुए हैं तथा हाथी बने हुए हैं जिनका मुख पुप्योंपर है। भीतर चार बभे हैं जिनकी जद चौकोर है, ऊपर गुम्बज हैं। मामनके वापर बहुत चित्रकारी है । पश्चिमकी तरफ बीचके कमरे में श्री पार्श्वनाथ विराजमान हैं। फणके छत्र महित व चमरेन्द्र महित है । पगमें दो नागनियां हैं
और दो सुन्दर वस्त्र महित पुजारी हैं । जबकि उनके चारों ओर देवतागण ध्यान में उपमर्ग कर रहे हैं । ( नोट--यह कमठके जीव द्वारा उपसर्गका चित्र है)।
पासवाले दूसरे कमरेमे पहलेकी भांति रचना छोटे मापमें है तथा एक पद्मासन तीर्थंकर विराजमान है। पूर्वकी भीतकी तरफ मध्य कमरेमें श्री गोमटस्वामी हैं जिनके चरणोंपर हिरण और कत्ते
और कुछ स्त्रियां बेटी हुई हैं । इनके उपर गंधर्व आदि देव हैं जो वाना, फूलादि लिये हुए हैं। इसके दाहनी तरफ कमरेमें एक छोटी मूर्ति श्री पार्श्वनाथजीकी है। वाई तरफ एक खड़ी मूर्ति है, जो आधी तड़क गई है, जिनके पास मृग, मकर, हस्ती, शूकर आदिके चिन्ह हैं।