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हैदराबाद जिला |
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कुछ दूर जाकर हरएक बगलके कमरेसे एक छोटे कमरे में पहुंचना होता है जहां सब तरफ जैन तीर्थंकरोंकी मूर्तियां कोरी हुई हैं । ये कमरे बगलके कमरोंके वरामदेके अन्तमें हैं। पूर्व ओर वरामदेमें दो खंभे सामने व दो पीछे हैं। द्वारके सामने दक्षिण तरफ अंबिका देवी है । दाहनी तरफ इंद्र हैं। बाएं हाथमें एक थैली व दाहनेमें नारियल है । ये 1 मुख्य जैन मूर्तियोंके सामने हैं । कमरा २५ फुटसे २३ || फुट है । छतका आधार ४ चौकोर खंभोंसे है। जिसमें गोल गुम्बज हैं। इसमें दाहनी तरफ श्री गोम्मटस्वामीकी मूर्ति है जो दिगम्बर जैनोंको बहुत प्यारी है, कनड़ा देशमें ऐसी कई बड़े आकार की मूर्तियां स्थापित हैं । बाई तरफ भी श्री पार्श्वनाथ भगवानकी नग्न मूर्ति चमरेन्द्र सहित हैं। छोटी वेदियों में पद्मासन श्री महावीरस्वामी की मूर्तियें हैं। कमरेकी हर तरफकी भीतोंके सहारे बहुतसी नग्न जैन मूर्तियां हैं व बीचमें इधरउधर बहुतसी छोटी मूर्तियां हैं। भीतर सिंहासनपर पद्मासन श्री महावीर स्वामी विराजमान हैं ।
इस बड़े कमरे के दक्षिण पश्चिम कोने में दूसरा द्वार है जिस पर चार हाथ की देवी दाहनी तरफ है व नीचे बाई तरफ एक मोड़पर आठ हाथवाली देवी सरस्वती है। एक छोटे कमरेसे होकर कुछ कदम चलकर हम एक बरामदे में आते हैं फिर एक छोटे कमरेमें जैसा पहले कह चुके हैं यहां भी अंबिका दाहनी ओर है और उसके सामने चार हाथकी देवी है, जिसके उठे हुए हाथोंमें दो गोल फूल हैं और जो हाथ घुटनेपर है उसमें वज्र है । वरामदेके पश्चिम ओर द्वारके सामने इन्द्रकी मूर्ति है । भीतर वेदीके