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मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक।
फुट ८ इंच ऊंचा है । इसमें पद्मासन श्री महावीरस्वामी सिंहासनपर विराजमान हैं।
इस जगन्नाथ सभाके बाई तरफका हॉल २७ फुट चौकोर व १२ फुट ऊँचाई जिसमें मंदिर ९|| फुटसे ८॥ फुट व ९ फुट १॥ इंच ऊँचा है हर तरफ इसके कोटरी है । जिसके बाईं तरफ पामकी गुफामें जानेका मार्ग है । इस सभाकी दूसरी तरफ दो छोटे मंदिर हैं जिनमें जैन चित्रकारी है।
गुफा नं० ३४ वीं आखरी गुफा जगन्नाथ सभाके पाम है । बरामदा नष्ट हो गया है । इसमें हॉल २०० फुट चौड़ा, २२ फुट गहरा व ९ फुट ८ इंच ऊँचा है, ४ खंभे हैं। भीतोंपर सुन्दर चित्रकारी है । छोटा कैलास-गुफा यह जैनियोंकी पहली गुफा है। हाल ३६ फुट चौकोर है । १६ खंभे हैं । कुल गुफा ८० फुट चौड़ी व १०१ फुट लम्बी है । यहां खुदाई करनेपर कुछ मूर्तियां शाका ११६९ की मिली थीं।
एलरा पर्वतको चरणाद्रि भी कहते हैं।
एटरा पहाड़की गुफाओंका वर्णन भिन्न २ रचनाके चित्रों सहित जिनमें जैन मूर्तियोंके भी व बभोंक भी चित्र हैं ( Cuve tuple of Indiio by Fireussou and Buigi's 1880 ) में दिया है । उमसे जो विशेष हाल मालूम हुआ वह यह है । कि इन्द्रसभाके पश्चिम बीचके कमरेमें दक्षिण भीतपर श्री पार्श्वनाथ हैं व सामने श्री गोमटस्वामी हैं । पीछे भीतके इंद्र, इन्द्राणी, भीतर मंदिरमें सिंहासनपर श्री महावीरस्वामी हैं नीचेके