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मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक ।
(२४) उत्तर कनड़ा जिला ।
उसकी चौहद्दी इस प्रकार है । उत्तरमें बेलगाम, पूर्व धारवाड़, मैसूर; दक्षिण में मदरास प्रांतीय दक्षिण कनड़, पश्चिममें अरब समुद्र ७६ मील रह जाता है । उत्तर-पश्चिम गोआ । यहां ३९४५ वर्ग मील भूमि है ।
शरवती नदी - होनावरसे पूर्व ३५ मीलके करीब ८२५ फुट ऊंची चट्टान के ऊपरसे गिरती है । यही प्रसिद्ध जरसोप्पा फाल Gorsoppa Fall कहलाता है ।
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इतिहास - यहां सन् ई० के पहले तीसरी शताब्दी में राजा अशोकने बनवासीको अपना दूत भेजा था। यहां जो बहुतसे शिलालेख मिले हैं उनसे प्रगट है कि यहां वनवास के कादम्बोंने, फिर राहोंने फिर पश्चिमीय चालुक्योंने फिर यादवने क्रमसे राज्य किया । यह बहुत काल तक जैन धर्मका दृढ़ स्थान रह चुका है। It was for long a stronghold of Jain religion. सन् १६०० में यह विजयनगरके राजाओंके आधीन था।
पुरातत्व - इस जिलेमें विशेष महत्वके स्थान वनवासी जरसप्पा, और भटकलके जैन मंदिर हैं ।
वनवासीका मंदिर जिसके लिये यह प्रसिद्ध है कि यह जाखनाचार्यका बनाया हुआ है, बहुत बड़ा है। इसमें बहुत सुन्दर मूर्तियां च चित्रादि कोरे हुए हैं । इसके आंगन में एक खुला पत्थर पड़ा है जिसमें दूसरी शताब्दीका लेख है ।
वर्तमान जरसप्पा नगरके पास नगर वस्तीकेरी में कई जैन मंदिर हैं जो इस बातको बताते हैं कि यह एक पुराना नगर था ।