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मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक ।
श्वरमें भी थी। यहां जैनमन्दिर सबसे पुराना मकान है । यह काले पाषाणका है, ७६ फुट लम्बा ३० फुट चौड़ा, इसमें बहुत बडे खम्भे हैं | दो पाषाणोंपर लेख शाका ११२४ के हैं ।
(५) खेद्रापुर - या कृष्ण | कोल्हापुरसे पूर्व ३० मील और कुरुन्दवाड़ से पूर्व ७ मील । ग्राममें एक छोटासा जैन मंदिर है ।
(६) विड या बेरद - पंच गंगा नदीपर | कोल्हापुरसे दक्षिण पश्चिम ९ मील । यह एक राजाकी राज्यधानी थी जो कोल्हापुर और पनालाका स्वामी था । प्राचीन ध्वंश बहुत हैं । सुवर्णकी पुरानी मोहरें मिलती है । एक प्राचीन पाषाणका मंदिर सन १२०० के करीबका है।
( नोट- वहां जैन चिन्होंको इन्दना चाहिये ) ।
(७) हेरले - कोल्हापुरसे उत्तरपूर्व ७ मील। मीरजकी सड़क पर यहां एक शिलाहार राजाका शिलालेख पुरानी कनडीमें शाका १०४०का है जिसमें एक जैन मंदिरको दान देनेकी बात है।
(८) सावगांव-कागलसे पूर्व ३ मील। यहां एक जैन मंदि रमें श्री पार्श्वनाथजी की मूर्तिका आसन है ।
(९) वमनी - मिदमोली के पास, कागलसे दक्षिण पश्चिम ४ मील | यहां एक जैन मंदिरमें शाका १०७३ का शिलालेख है ।
(१०) करवीर - कोल्हापुरके राज्यकी प्राचीन राज्यधानी । (११) बदगांव-कोल्हापुरसे उत्तर १० मील एक नगर । यहां एक जैन मंदिर है जिसको आदप्पा भगसेटीने १६९६ में ४००००) खर्चकर बनवाया था।
(१२) कुंडल - सर्दन मरहटा रेलवेके कुंडल स्टेशनसे २