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धाड़वाड़ जिला।
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कुन्दूर (६००), पुरीगेरी या लक्ष्मेश्वर ३०० तथा कुन्दरगी (७०) का आधिपत्य था।
(२८) आरटाल-तहसील बंकापुर-हुबलीसे २४ मील । यहां जंगलमें एक प्राचीन पाषाणका मंदिर श्री पार्श्वनाथ स्वामीका है । मूर्ति बड़ी कायोत्सर्ग है । प्राचीन कनड़ीमें शिला लेख है । शाका १ ० ४५में मंदिर बना सत्याश्रय कुल तिलक चालुक्य रानम् भुवनैकमल्लविजय राज्ये ।
(दि. जैन डाइरेक्टरी, नकल लेख भी दी है)
(२९) मुन्दी-ता० रोन यहां जैन मंदिरके सम्बन्धमें एक शिलालेख है जो (IFleet's Canarese Dynasty ). में दिया है । उसका सार यह है कि इस लेखमें पश्चिमीय गंगवंशी राजकुमार बुटुगका वर्णन है । जिसने आतकर-के शिलालेखके अनुसार चोल राजा दित्यको उम युद्धमें मारा था जो दित्त्यसे और राष्ट्रकूट राजा कृष्ण हि० से करीब सन् ९४९ में हुआ था । इस लेखमें भूमिदान उस जैन मंदिरको है निसको उसकी स्त्री दिवलम्बाने सुन्दीके स्थापित किया था। यह राजा बुटुग ९६००० ग्रामोंके गंग मन्डलपर राज्य करता था । पुरिकरमें राज्यधानी थी। शाका ८६० कार्तिक सुदी (को इसने जो कि श्रीमान् नागदेव पंडितका शिप्य था ६० निवर्तन भूमि अपनी स्त्री दिवलम्बाके बनाए हुए चैत्यालयके लिये दी। इस स्त्रीने छः आर्यिकाओंका समाधिमरण कराया था तथा इस प्रसिद्ध जैन मंदिरको बनवाया था। यह लेख संस्कृतमें है। वंशावली नीचे प्रकार है
वंशक्ष पश्चिम गंगराजा।