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६] मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक। बहुत पुरानी हैं। अंधभृत्य या शतकर्णी राजाओंने दूसरी या पहली शताब्दी पहले सन ई० के बनवाई थीं । गुफा १० में सबसे प्राचीन लेख है। नासिकके लेखोंमें प्रसिद्ध वसिट्ठ पुत्रने दान किया था उसका वर्णन है । इन गुफाओंसे यह मालूम होता है कि ७०० सन् ई० तक लोग कैसे वस्त्राभूषण पहनते थे व कैसी चित्रकला थी । बौद्ध साधुओंके जीवन अधिक चित्रित हैं परन्तु ब्राह्मण और जन साधुओंको भी दिखाया गया है । गुफा १३ वीं में दिगम्बर जैन साधुओंका एक संघ चित्रित है जिनमें केश नहीं हैं न वस्त्र हैं साथमें कुछ ऐसे भी हैं जिनके केश तथा वस्त्र हैं। नं० ३३ की गुफामें भी दाहनी तरह दिगम्बर जैन मूर्तियें हैं। यहांकी गुफा नं० १ बहुत ही सुन्दर है finest तथा नं० २ बहुत ही बढ़िया मठ है richest monastry है।
(८) एरंडोल-प्राचीन नाम अरुणावती। यहां पांडववाड़ा है। जहां १२ दि. जैन मंदिर थे। यहांसे १ अखंडित जैन प्रतिमा लेख सहित नगरके मंदिरमें बिराजित है तथा एक मूर्ति जंगलसे लाकर भी जैन मंदिर में हैं ( दि. जैन डायरेकटरी)