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वीजापुर जिला। इसमें इस भांति राजाओंका वर्णन है-----
जयसिंह प्रथम या जयसिंह वल्लभ
पुलिकेशी प्रथम
कीर्तिबर्मा प्रथम
मंगलीशा या
मंगलीश्वर पुलिकेशी हि० या सत्त्याश्रय
इस लेखका अभिप्राय यह है कि शाका ५०७में पुलिकेशीके राज्यमें किसी रविकीर्तिने यह श्री जिनेन्द्रका मंदिर पाषाणका बनवाया । इस लेखसे इधरका बहुतसा इतिहास मालूम होता है। इस लेखमें बहुत महत्वकी बात यह है कि इसमें कदम्ब और कलचूरी रानाओंका, वनवासी नगरीका, कोंकणके मौर्योका, आप्पायिक गोविन्दका वर्णन है जो शायद राष्ट्रकूटवंशका था । १२ वीं लाइनमें इधरके देशको महारापतु वातापिपुरी या वातापिनगरी (वर्तमान बदामी) के नामसे लिखा है--
___ नकल लेख मेघुती मदिर। (१) जयति भगवान् जिनेन्द्रो....न....र(?, क्ष) ण जन्मनो यम्य ज्ञान समुद्रांतर्गत मखिलअगदन्तरी पमिव ।। तदनु चिरमपरियश्चलुक्य कुलविपुल जलनिधिर्जयति ॥ एथिवी मौली (लि) ललामो-यप्रभव-पुरुषरत्नानाम् ।। शूरे विदुषि च विभजन्दानाम्मानञ्च युगपदेकत्र ।।(२) अविहित याथातथ्यो जयति च सत्याश्रयस्सुचिरम् ।।