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११८ ] मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक । nger (मेघदूत्त) पार्धाभ्युदय is one of the curiosities of sanskrit literature. . श्री जिनसेनके समकालीन राजा इस भांति थे। " (१) राजा अमोघवर्ष-प्रथम (जैनधर्मी) नृपतुंगदेव, सार्वदेव । यह बड़ा विद्वान् था, इसने संस्कृत व कनडीमें अनेक जैन ग्रन्थ बनाए । प्रसिद्ध संस्कृतमें प्रश्नोत्तर रत्नमाला व कनड़ीमें कविराज मार्ग अलंकार ग्रन्थ है । राज्यकाल शाका ७६६ से ७९९ तक है । इनके समयमें ही श्री जिनसेनने शरीर त्यागा । राजा अमोघवर्ष भी अतमें मुनि होगए थे। इसके पीछे ८० ११ वर्ष तक अमोघवर्षके पितृव्य इंद्रराजने फिर अमोघवर्षके पुत्र अकालवर्ष या द्वि० कृष्णने शाका ८११ से (३३ तक राज्य किया यह बड़ा सम्राट था ।
(२) धाड़वाड़ नगर-नगरके बाहर काली मिट्टीके मैदान नवल गुंडकी पहाड़ी तक पूर्वओर चले गए हैं व उत्तर पूर्व प्रसिद्ध येलम्मा और पारशगढकी पहाड़ी तक (दक्षिण-पूर्वकी तरफ मूलगंडकी पहाड़ी करीब ३६ मील दूर है)।
धाड़वाड़के दक्षिण १॥ मील मैलारलिंग नामकी पहाड़ी है। उसकी चोटी पर एक पाषाणका मंदिर जैन ढंगका बना है । खंभे आदि बहुत बड़े भारी पत्थरके हैं तथा उसी पाषाणकी छत बहुत सुन्दर चित्रकलासे अंकित है। एक खण्भेमें फारसीमें लेख है कि इस मंदिरको मसजिदके रूपमें बीजापुर सुलतानने सन् १६८० में बदल दिया।
(३) हांगलनगर-धारवाड़से उत्तर ५० मील । यहां ६०० गजके करीब चौड़ा एकटीला है जिसको कुन्तीनाडिव्वा या कुन्तीका