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मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक ।
२ प्रतिमा प० २ || फुट ऊंची
१ शांतिनाथकी ३ मूर्तियें १ फुट ऊंची १ स्फटिक पाषाणकी एक प्रतिमामें सं० १००१ विजयमूरि प्रतिष्ठाचार्य सब प्रतिमाएं ९ हैं (दि० जैन डाइरेक्टरी) |
हम जब २४ मार्च १९२५को किला देखने गए तो वहां हमें ६ मूर्तियें अखंडित दि० जैनकी नीचे प्रमाण मिलीं । (१) कायोत्सर्ग २ हाथ ऊंची नं ०
(२)
२
नं०
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मूलसंघ आदि लिखा है ।
(३)
(8)
(9)
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(६) पल्यंकासन २ अंतिम दो प्रतिमाओंपर सं० १२३२ शाका पौष सुदी ३
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पार्श्वनाथ
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सी ६
सी ५
कृष्णवर्ण
पार्श्वनाथ
सी ३
सी २
सी ४
९ सी १
(१२) धनूर - कृष्णा नदीपर । हुनगुंडसे उत्तर १० मील, ग्रामके बाहर एक छोटा मंदिर जैनके ढंगका है - इसमें लिंग है । धनेश्वरका कहलाता है |
(१३) हल्लूर - बागलकोटसे पूर्व ९ मील - ग्रामके उत्तरमें पहाडीपर मेलगुडी अर्थात् पहाडी मंदिर है (मेल = पहाडी, गुडी = मंदिर) जो ७६ फुट लम्बा ४३ फुट चौडा और २१ फुट ऊंचा है । यह दक्षिण मुख है, बहुतही बढिया प्राचीन जैन मंदिर है । अब इसमें लिंग रख दिया गया है । भीतोंके सहारे व सामने