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६२] मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक । दि० जैन लोग इसको सिद्धक्षेत्र मानकर पूजने जाते हैं । उनके शास्त्रोंका प्रमाण इस भांति है ।
संत्ते जे बलभद्दा जदुवणरिंदाण अट्ठकोडीओ । गजपंथे गिरिसिहरे णिव्वाण गयाणमोतेसिं ॥७॥
(प्राकन निर्वाणफंड) भाषा जे बलिभद्र मुक्तिको गए। आठ कोड़ि मुनि और हु भये । श्री गजपंथ शिषर सुविशाल। तिनके चरण नमो तिहुंकाल ।
(निर्वाणकांड भगवतीदास) (७) सिमार-सिन्नार तालुका-नासिकसे दक्षिण २० मील। शहरसे एक मील पूर्व खेतोंमें एक छोटा हेमादपंथी मंदिर है जो कुछ ध्वंश होगया है इसके पूर्वीय द्वारके ठीक बाहर एक कुएंके पास दो पुरुषाकार ने नमूर्तिये हैं।
(८) मांगीतुंगी सिद्धक्षेत्र-इसी मनमाड़ नासिक जिलेमें मनमाड (G. I. P.) प्टेशनसे करीब ५० मील यह सिद्धक्षेत्र हैं । दो पवर्त साथमें जुड़े हैं। दोनों पर्वतों पर पांच छः गुफाओंमें प्राचीन दि० जैन मूर्तियां हैं-पर्वतपर बलदेवजी कृष्णजीके भाईने तप किया था उनका स्थान है तथा कृष्णजीकी दाह क्रिया यहीं हुई है उसका भी स्थान है। यहांसे श्री रामचन्द्रजी, हनुमानजी, सुग्रीवजी, गवयजी, गवाक्षजी, नीलनी और महानीलजी तथा मिनानवेकरोड़ अन्य साधु गत चतुर्थकालमें मुक्ति पधारे हैं।