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काठियावाड (सौराष्ट्रदेश)। [४३ यहां पर्वतपर वर्तमानमें दिगम्बर जैनोंका खास एक बड़। मंदिर है जहां वे लोग पूनने जाते है उसमें मूलनायक श्री शांतिनाथ भगवान १६ वें तीर्थकरकी पुरुषाकार पद्मासन मूर्ति बहुत मनोज्ञ सं० वि० सं० १६८६ की है प्रतिष्ठाकारक बादशाह जहांगीरके समयमें अहमदाबाद निवासी रतनसी हैं-देखो___Epigraphica Indica Vol II PxP.72 ___श्वेतांबर जैनोंके बहुतसे विशाल मंदिर हैं। यह पर्वत समुद्र तहसे १९७७ फुट ऊंचा है मुख्य दो चोटियां हैं फिर उनकी घाटी धनवान जैन व्यापारियोंने बना दी है । कुल ऊपरका भाग मंदिरोंसे ढका हुआ है जिनमें मुख्य मंदिर श्री आदिनाथ, कुमारपाल विमलशाह, सम्प्रति राना और चौमुखाके नामसे प्रसिद्ध हैं। यह चौमुखा मंदिर सबसे ऊंचा है जिसको २५ मीलकी दुरीसे देखा जासक्ता है । इस चौमुखा मंदिरके सम्बन्धमें जो खरतरवासी टोंकमें है ऐसा कहा जाता है कि यह विक्रम राजाका बनाया हुआ है परंतु यह नहीं बताया गया कि यह संवत ५७ वर्ष पहले सन् ई०का है या ५०० सन् इ० में हुए हर्ष विक्रमका है या अन्य किसीका है । परंतु वर्तमान रूपसे ऐसा मालूम होता है कि यह करीब सन् १६१९ के फिरसे बना है। अहमदावादके सेवा सोमनीने सुलतान नुरुद्दीन जहांगीर, सवाई विजय राजा, शाहनादे सुलतान खुशरो और खुरमाके समयमें सं० १६७५में वैशाख सुदी १३ को पूर्ण कराया । देवराज और उनके कुटुम्बने जिसमें मुख्य सोमनी और उनकी स्त्री राजलदेवी थी उन्होंने यह चौमुखा... आदिनाथजीका मंदिर बनवाया है। देखो