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३८] मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक ।
(४) पोसीमा सबली-यहां श्री पार्श्वनाथ और नेमिनाथमीके जैन मंदिर हैं जो सफेद पाषाणके २६ फुट ऊंचे व १५०x१४ ० फुट हैं।
(५) तिम्बा-जिला गोदवाड़ा। श्री तारंगा पहाड़ । नोट-यह जैनियों का माननीय सिद्धक्षेत्र हैं । दिगम्बर जैन शास्त्रोंमें इसका प्रमाण इस तरह दिया है।
गाथावरदत्तो य वरंगो सायरदत्तो य तारवरणयरे । आहट्टय कोड़ीओ णिव्वाणगया णमो तेसिं ॥ ३ ॥
(प्राकृत निर्वाणकांड ) दोहा वरदत्तराय रु इंद मुनिंद, सायरदत्त आदि गुणवृन्द ।
नगर तारवर मुनि उठ कोड़ि, वंदों भाव सहित करजोड़ि॥४॥ ( भाषा निर्वाणकांड भगवतीदास कृत सं० १७४१ में )
भावार्थ-इस ताइवर क्षेत्रपर वरदत्त राजा, इन्द्र मुनि व सागरदत्त आदि साढ़े तीन कोड़ मुनि मुक्ति पधारे हैं।
यहां बहुतसे जैन मंदिर हैं। उनमें श्री अनितनाथ और संभवनाथके मंदिर ७०० वर्ष हुए राजा कुमारपालके समयमें रचे हुए कहे जाते हैं । ( फोर्वसकत रासमाला ) यहां अखंडित खंडित बहुतसी दि० जैन मूर्तियां यत्र तत्र हैं। बहुत जैन यात्री पुजाको भाते हैं।
(६) कुम्भरिया-दांतासे उत्तर पूर्व १४ मील । अम्बाजीसे दक्षिण पूर्व १ मील । यहां सफेद संगमर्मरका श्री नेमिनाथनीका