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थाना जिला।
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इसका प्राकृत नाम कन्हगरि संस्कृतमें कृष्णगिरि है उसकी पवित्रता बौद्धोंकी उन्नतिके समयसे है । १०० वर्ष पहलेसे ५० सन् ई० तककी गुफाएं हैं। कुछ गुफाएं चौथीसे छठी शताब्दी तककी हैं यहां ५४ शिलालेख हैं (देखो बम्बई गजेटियर जिल्द १५ वीं सफा १२१ से १९५)।
(६) सोपारा-तालुका बसीन-बसीनरोड़ स्टे०से उत्तर पश्चिम २॥ व बीरार स्टे० से दक्षिण पश्चिम ३॥ मील है । यह प्राचीन नगर था । यह सन ई० से ५०० वर्ष पहलेसे लेकर १३०० इ० तक कोंकनकी राज्यधानी था । महाभारतमें व गुफाओंके लेखोंमें इसका नाम शुर्पारक है । यूनानी टोलिमीने सौपार, व प्राचीन अरब यात्रियोंने सुबार नाम लिखा है ! महाभारतमें लिखा है कि यहां पांच पांडव ठहरे थे । गौतमबुद्ध अपने पूर्व जन्मोंमें यहां पैदा हुआ था । जैन लेखकोंने सुपाराका बहुत स्थानोंमें नाम लिया है। सन ई० से पहली व दूसरी शताब्दी पहलेके लेखोंमें इसका नाम सोपारक, सोपाराय व सोपारग पाया जाता है । पेरिप्लसके संपादकने लिखा है कि तीसरी शताब्दीमें औारा भरुच और कल्याणके मध्यमें समुद्र तटपर १ बाजार था । (B. R. A S. 1882) सोलोमनने इसको ओपलायर नाम देकर लिखा है।
यह ईसासे १००० वर्ष पहले व्यापारका मुख्य केन्द्र था, इतिहासके समयके पहलेसे इस थानाके किनारेसे फारस, अरब और अफ्रिकासे व्यापार होता था । जेनेसिस अध्याय २८में कहा है कि भारतीय मसालोंमें अरबके साथ व्यापार चलता था तथा मिश्र वासियोंमें भारतकी वस्तुएं प्राचीनकालमें व्यवहार की जाती थीं।