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प्रथम भाग।
भागों से पांच भाग म्लेनखड और एक आर्यक्षेत्र अथवा मार्यखंड कहलाता है। करके नको में यह आर्यखड '" के चिन्हसे दिखाया गया है अर्थात् यदि हम मातक्षेत्रके नकशे से आर्यखंड निकालें तो इस आर्यखंडका आकार इस भांति होगा।'
वर्तमानमें केवल हिदुस्थान ही आर्यखंड माना जाता है। पान्तु जैन मूगोल हिंदुस्थान, एशिया, यूरोप आदि वर्तमानके छहों महाद्वोपोंको आर्यखंडहीमें शामिल करती है। और इस छहों द्वीपोंके सिवाय और भी एबी बतलाती है जिसका पता हम लोगों को अभीतक नहीं लगा है | इस पुस्तकमें इसी आर्यखंडके इतिहामका जैन-हटसे विवेचन किया जायगा । वर्तमान में आर्यखंड जिस प्रकारका माना गया है उसका भी नकशा इस पुस्तकके परिशिष्ट नं. "में दिया गया है।'