Book Title: Parshvanath Charitra Ek Samikshatmak Adhyayana
Author(s): Surendrakumar Jain
Publisher: Digambar Jain Atishay Kshetra Mandir

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Page 18
________________ ReshamestessesressTastesrusheshastessesTASEASRASTASIAS 'यशोधरचरित' तथा 'श्रीपालचरित', ब्रह्मअर्जित (15वीं शताब्दी) कृत 'हनुमात्चरित', लब्धिसागर कृत पृथिवी चन्द्रचरित (वि.सं.1558) रत्न कीर्ति (15-16वीं शताब्दी) कृत 'भद्रबाहुचरित', 'ब्रह्मनेमिदत्त कृत 'श्रीपालचरित' (1528 ई.), 'धन्यकुमारचरित' तथा 'प्रीतिकर महामुनिचरित', भट्टारक शुभचन्द्र (1535 1556 ई.) कृत 'चन्द्रप्रभचरित', 'करकण्डुचरित', 'चन्दनचरित', 'जीवन्धर चरित' तथा ' श्रेणिक चरित', पं. जिनदास कृत 'होलिरेणुकाचरित' (1557 ई.), विनयसागर गणिकृत 'शालिभद्रचरित' (1566ई.), कवि राजबल्ल कृत 'जम्बूस्वामी चरित' (1575ई.) हेमविजयकृत 'पार्श्वनाथधारत', रबिसागर गणिकृत 'साम्व प्रद्युम्न चरित' (1588ई.), विद्या भूषण भट्टारक कृत 'जम्बूस्वामिचरित' ( 1596ई.), पदमसुन्दरकृत भविध्यदत्त चरित' (1557ई.) तथा 'पार्थनाथ चरित', उदयवीरगण कृत 'पाश्वनाथचरित', चारुचन्द्र (16वीं शताब्दी) कृत 'उत्तमकुमारचरित', भट्टारक वादिबन्द्र (15801607ई.) कृत 'सुलोचना-चरित' तथा 'यशोधर चरित', दोडच्य (16वीं शताब्दो) कृत 'भुजबलिचरित', देव-विजयमणि कृत 'पाण्डवचरित' (दि. सं. 1660) तथा 'रामचरित्र', गुणविजयगणि कृत 'नेमिनाथचरित' (1611ई.), रवचन्द्रगणि कृत 'प्रद्युम्नचरित' (1617ई.) ब. कामराज ( 17वीं शती) कृत 'जयकुमारचरित', ज्ञानविमलसूरि कृत 'श्रीपालचरित' (1688ई.), जगन्नाथ (17वीं शती) कृत 'सुषेणचरित', विश्वभूषण भट्टारक (अट्ठारहवीं शताब्दी का पूर्वाद्ध) कृत 'भक्तामरचरित', रूपचन्द्रगणि (1795 ई.) कृत 'गौतमचरित', रूपविजयणि कृत 'पृथिवीचन्द्रचरित' (1825 ई.) तथा ज्ञानसागर महाराज (जन्म 1891 ई.) कृत समुद्रदतचरित, तथा महावीरचरित (वीरोदय काव्य) प्रमुख हैं। कुछ चरित्रनामान्त ऐसे काव्य भी मिलते हैं, जिनका काल अज्ञात है। इनमें ऋद्धिचन्द्र कृत 'मृगाङकचरित', हर्ष कुन्जर उपाध्याय कृत 'सुमित्रचरित्र' शुभवर्द्धनगणिकृत 'पाण्डवचरित्र'. हर्षवर्द्धनगणिकृत 'सदय वत्मचरित्र', जिनसूरि कृत रूपसेनचरित्र' त्रैलोक्य सागर कृत 'रत्रसरचरित्र', मतिवद्धनगणिकृत 'समरादित्य चरित्र' तथा वत्सराज मुनि विरचित 'शान्तिनाथ चरित्र' के नाम आते हैं। 9 चरितकायों के विशेष विवरण के लिए देखिए (1) डॉ. जयकुमार जैन द्वारा लिखित चार्थनाश्वचरित का समीक्षात्मक अध्ययन (2) जैन साहित्य का वृहद इतिहास भाग 5 6 (3) भगवान् महावीर और उनकी आचार्य परम्परा ( 47 भट्टारक सम्प्रदाय आदि। SXSXSXSTAMATAsuses viitusxSIMITESTASTASTESTATUS

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