Book Title: Paia Subhasiya Sangaho
Author(s): Bhavyadarshanvijay
Publisher: Padmavijay Ganivar Jain Granthmala
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________________ दुज्जणसहाए पडियं, निम्मलकव्वंपि लहइ न पइट / जलबिंदुब सुतत्ते, आयसभाणम्मि पक्खित्तो // 52 // आसज्ज दुज्जण कवि-जणस्स अभ्भत्थणा तओ विहला / न हु सक्कररससित्तो, वि चयइ कडुयत्तण निंबो // 53 // अभत्थिओ विवंको, कलुसियहिययो सुवित्तपरिहीणो / चंदोव्व दुज्जणो इह, दोसासंगे पयासेइ // 54 // धणं / WEALTH जाइ रुवं विज्जा, तिन्नि वि गच्छन्तु कन्दरे विवरे। .. अत्थोच्चिय परिवड्ढउ, जेण गुणा पायडा हुन्ति // 55 / / विगुणमवि गुणड्ढं, रूवहीणपि रम्म, जडमवि मइमंत, मंदसत्तंपि सूरं / , अकुलमवि कुलीण, तं पयंपति लोआ, नवकमलदलच्छी, जौं पलोएइ लच्छी // 56 // सुच्चिय सुहडो सो चेव पंडिओ सो विद्वत्तविन्नाणो / जो निअभुअदंडजिय-लच्छीइ उवज्जए कित्ती // 57 / / न गणति कुलं न गणति पावयं पुण्णमवि य न गणति / इस्सरिएण हि मत्ता, तहेव परलोयमिहलोयं / / 58 // वचइ मित्तकलत्ते, नाविक्खऍ मायपियसयणे य / मारेइ बंधवे वि हु, पुरिसो जो होइ धणलुद्धो // 59 / / जा विहयो ता पुरिसस्स होइ आणापडिच्छओ लोओ। गलिओदयघण विज्जुलावि दूर परिचयइ // 60 //

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