Book Title: Paia Subhasiya Sangaho
Author(s): Bhavyadarshanvijay
Publisher: Padmavijay Ganivar Jain Granthmala

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Page 28
________________ घणकम्मपासबद्धो, भवनयरचउप्पहेसु विविहाओ / पावइ विडंबणाओ, जीवो को इत्थ सरणं से / / 205 // जणणी जायइ जाया, जाया मायापिया अ पुत्तो य / अणवत्था संसारे, कम्मवसा सधजीवाणं // 206 // अन्नो न कुणइ अहियं, हिअपि अप्पा करेइ नहु अन्नो / अप्पकयं सुहदुक्खं, भुजसि ता कीस दीगमुहो // 207 / / एगो बंधइ कम्म, एगो वहबंधमरणवसणाई / विसहइ भवंमि भमडइ, एगुच्चिय कम्मवेलविओ / / 208 // परमत्थओ न केणवि, मुहं व दुक्ख व कीरए नरस्स / पुवकयमेव कम्म', सुहदुहजगणम्मि तल्लिच्छं / / 209 // संगामे गयदुग्गमे हुयवहे, जालावलीसंकुले; कतारे करिवग्धसीहविसमे, सेले बहूबद्दवे / अंभोहिम्मि समुल्लसंतलहरीलंधिज्जमाणे वरे; सम्यो पुत्रभवज्जिएहि पुरिसो, पुन्नेहिं पालिज्जइ // 210 // खंती / FORGIVENESS कोहस्स निग्गहणं खंती, जीवा य संजमा भणिओ / खंती गुणाण मूलं, खंती धम्मस्स सव्यस्सं // 211 // कामो य कामिणीणं, भत्ता गुणरुवसंपयाकलिओ / मणदइओ संपज्जइ, आणवडिच्छा खमाधम्मे // 212 / / सयलकलाकुसलाओ, निम्मलकुलसीलपुण्णकलियाओ / लभंति लच्छिनिलया, महिलाओ खतिधम्माओ // 213 //

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