Book Title: Paia Subhasiya Sangaho
Author(s): Bhavyadarshanvijay
Publisher: Padmavijay Ganivar Jain Granthmala

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Page 73
________________ जम्मजरामरणत्ता, सत्ता पिअविप्पओगदुक्खत्ता / असरणा मरंति जंति अ, संसारे संसरंति सया // 681 // असरणा मरंति इंदा, बलदेवा वासुदेवचकहरा / .. ता एवं नाऊणं, करेह धम्मुज्जमं तुरिअं // 682 // भीसणभवाडवीए, एगो जीवो सयावि असहाओ / कम्महओ अ भवालिं, आहिँडइ विक्हिरूवेहिं // 683 // जह आगइत्ति अगो, कडिदोरेणावि विरहिओ जीवो / गच्छिस्सइ तहविअ, एगो छंडेवि सव्वंपि // 684 // जाइ अणाहो जीवो, दुमस्स पुप्फंव कम्मवायहओ / धणधन्नाहरणाई, पिअपुत्तकलसमिल्हेवि // 685 // अन्नस्स पेसले, अन्नस्स न वेअणा जंहा होइ / तह अन्नेण कयाई, कम्माईन मुंजए अन्नो // 686 // छंडेअव्वं देहं, अवस्स कहावि नत्थि संदेहो / ता छड्डणजोएणं, उवज्जिअव्वं सासय सुक्खं // 687 / / तुच्छत्थिखंडसरिसा, विसया महानिहीसमं अ मणुअत्तं / लध्देण जेण मुक्खो, लसइ धम्मे निउत्तेण // 688 // जह सव्ववाहिहरगं, गोसीसं चंदणं महग्यपि / दहिऊण कुणइ छारं, भायणनिम्मज्जणट्ठाए // 689 // तह दुलहमहग्धेअं, मणुयत्तं दहइ छारयाणेइ / विसयाइट्ठीकज्जे, जो धम्ने तं न लाएइ // 690 // सव्वट्ठसिद्धिवासी, देवा निवडंति आउए जिण्णे / / तेत्तीससागराऊ, का गणणा इयरजीवेसु // 691 / /

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