Book Title: Paia Subhasiya Sangaho
Author(s): Bhavyadarshanvijay
Publisher: Padmavijay Ganivar Jain Granthmala

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Page 114
________________ 6270 473 | धम्म करेह 460 धम्मस्स दयामूलं धम्मेण होइ 525 143 740 742 227. 629. السع ي 235. م 562 202 >> 400 दीण दरिदा. दीसइ विविह चरितं दीहरफणिंदनाले दुक्खं सुहंति दुज्जण सहाए दुहृत्तणेण दुपरिच्चय धरणिधरो दुल्हं माणुसजम्म देवाण दाणवाण देवत्तेविय देवदाणव गंधव्वा देवाविसय पसत्ता देविंदा समहिड्ढिआ देसे कुलं पहाणं देहं रोगाइण्णं दो पंथेहिं न , , , दोवाससहस्सठिई घणओ धणत्थिआणं धन्ना ता महिलाओ बना तेच्चिय पुरिसा धन्ना ते वर पुरिसा क्ना बहिरा . पन्नो सो धम्मजुग गुणाइण्णों धम्मेण कुलप्पसुइ 442. 48 697 52 धम्मेण लहइ जीवो 722 धम्मो अत्थो 456 धम्मो चेवेत्थ सत्ताणं 412 धम्मो बंधु सुमित्तो धम्मो मंगलमउले धारिज्जइ इत्तो * 794 धारइ दुधरु धावतखलंत घिद्धी ताण नराणं 982 धी धीधी , 284 धीरस्स पस्साधीरत्त 824 धीरेण वि मरियन्वं न कयं दीणुद्धरणं न कुसंगेण वसिज्जइ 229 न गणंति कुलं 68 न गणंति गुणं | न गणेइ रुववंत नच्चंता कीडंता नज्जति चित्तभावा 789 | नत्थि छुहाए सरिसा 908 | नत्थि हु कोइ 222 / न दया न लोयलज्जा 299 792 889 . 601 274 200 457. 863 282.

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