Book Title: Paia Subhasiya Sangaho
Author(s): Bhavyadarshanvijay
Publisher: Padmavijay Ganivar Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 118
________________ 191 م م 414 559 و 587 285 : 394. 261 410.. मणुआवि मणुएसु वि जे .. मणुसत्तणं असारं मम्मं न उ लविज्जइ मरणे वि दीणवयणं मरणभयम्मि मरुत्थलीए मलमइलपंकमइला मइलइ विमलंपि मलमलिण मलिणा कुडिलगईओ महया वि हु जतेणं महिला आणं कुलहरं महिला छलेणं महिला हु रत्तमेत्ता महुबिंदुसमे भोए महुबिंदुसायसरिसे महुरावणिओ महुमजमंस माइंदजालसरिसं मा कुणह गयनिमीलं . मा कीरउ पाणिवहं माणुस्समुत्तमो धम्मो मा जाणसि जीव तुम मायपियपुत्तबंधू . माया जायइ पत्ती 717 | मारइ पियभत्तारं मा वच्चह वीसंभं 120 / मा वहउ को वि गवं मा सुयह जग्गिअन्वे मासुववासु मिच्छत्तमोहिएणं 417 मित्ती परोवयारो मुक्कलमाणसपसरा 159 मुत्ताहलं व कन्वं 616 मुत्तिसमं नत्थि मुक्खत्थीहिं 244 मुहससिपवेस मेरु गरिठो जह मेरुगिरिकणयदाणं मेरुस्स सरिसवस्स य 140 मेरुतिणं व सग्गं 593 मेहाण जलं चदस्स 582 मेहाण जलं चंदस्स 778 मेहेण विणा वुठ्ठी 661 रक्खंतो रच्चिज्जइ 628 रत्ताओ हरंति धण 524 रत्ता पिच्छंति 325 रत्तिधा दीहंधा 298 रतो दुलो मूढो 703 / रंजंति जाव 603 / मेला 249 - 340 392 228 780 357 103 485 . 930 . 37.

Loading...

Page Navigation
1 ... 116 117 118 119 120 121 122 123 124