Book Title: Paia Subhasiya Sangaho
Author(s): Bhavyadarshanvijay
Publisher: Padmavijay Ganivar Jain Granthmala
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________________ to 138 992 / तो भे भणामि 155 योववि अणुढाणं ... दठूण पाणि 420 दया समो न य धम्मो दव्वओं खित्तओ चेव दव्वओ चक्खुसा दवदाण पलीवणयं | दसविहवेयण 757 दंसणभट्ठो भट्ठो 975 दसणमोहे, . 542 दाणमाणोवयारेहिं 709 दाणं दरिदस्स 399. ता रुव ताव तारुण्णे पियविरहे ता लज्जा ता तावच्चिय होइ तावच्चिय होइ , सयल ता वित्थिण्णं गयणं तिण तूला तत्थयरा गणहारी तित्थयराण भगवओ तिरियाणं चिय तिरियत्तणा उवट्टो तिलतुसवालग्गंपि तुच्छत्थिखंडसरिसा तुच्छं पि सुपत्तमि तुडि चडणेण तुंगं चिय होइ मणो ते च्चिय पुरिसा ते चेव जोणिलक्खा ते धन्ना कयपुण्णा ते धना ताण ते पंडिया तेलुकंपि असरणं तेलुकस्स पहुत्तं तेहिं गहियाण तो पडिवज्ज 937. 913. 112 453. 521 342. 238 693 243 . 24 338. 643 688 दाणाणमभयदाणं दाणेण फुरइ कित्ती 710 दाणेण विणा दाणतवसीलभावण 615 ". , , , दारिदं दोहग्गं 739 दिक्खा सिक्खा दिजाहि 384 दिन्न सुहंपि 665 दिवसनिसाघडिमालं 774 दिवसे दिवसे लक्खं 321 | दिवा कागाण बोहेसि 654 / दिसति दाणि .. 23 782 990 254 242 125. 440 . 737

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