Book Title: Paia Subhasiya Sangaho
Author(s): Bhavyadarshanvijay
Publisher: Padmavijay Ganivar Jain Granthmala
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________________ .5 801 752 ه 4. ه 4. नं अज्जि 821 जा जा डाला लंबा ... 177 जं अवसरे 817 / जा जा वच्चइ रयणी, 482 जं चिय खमइ 12 | "" " "... 483 जं चिय विहिणा जाणइ जणो .. 624 ज चित्ते चिंतेउ जाणतो मरणन्तं 303 जं कल्ले कायवं 124 | जा दम्वे होइ मई जंकल्लं कायवं 296 जा नारी इह लोए 157 जं काणा खुज्जा जा नियकतं मुत्तुं 154 जं किंपि मए 541. जायमाणस्स जं जं आलिहइमणो 185 जायंति अपच्छाओ जं जाणइ भणइ 185 जावंति केइ दुक्खा 330 जं जेण जया 187 जा विहवो ता जं जेण पावियव्वं जिणकप्पिया य नं तवसंजमहीणं जिणपूआ गुरुसेवा 522 में नत्थि तं 145 जिणपूआ मुणिदाणं 826 ज नयणेहिं न दीसइ 178 जिणसासणस्स सारो 508 जं नरए नेरइआ 750 जिणसिद्धा जं नाम किंचि जिणाणं पूअजत्ताए जपंति अलियवयणं 590 जिणाणाए 861 - जंपिज्जइ पियवयणं 364 जियउ व मरउव 4. जंबुद्दीवे चक्की 882 जीभं जलबिंदुसमं 133 जं वोलीणं सुक्खं 692 जीअं मरणेण समं 810 जं सका तं जीयमणिच्चमवस्सं 306 जाइ रुवं विजा जीवदयाई रमिज्जा 233 जाइ अणाहो जीवो 685 जीवदयाए रहिओ 258 जा उण कस्सइ चिंता. 174 | जीवदया जिणधम्मो . ه 176 EEEEEEEEEEEEEEE 760 570 775 ه م R

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