Book Title: Paia Subhasiya Sangaho
Author(s): Bhavyadarshanvijay
Publisher: Padmavijay Ganivar Jain Granthmala
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________________ लोकानां अकारादिम 887 484 370.. 798 91 102 673 458 अइगरुओ कम्मरिऊ . 648 | अहममत्तमि अइतज्जैणा न कायव्वा 822 | अणवट्टियस्स धम्म अइचंगो ललिअंगो अणथोवं वणथोवं अइनेहो न वहिज्जइ 360 अणंतापावरासीओ अइयम्मि य कालम्मि 348 अणवरयं देन्तस्स अइरोसो अइतोसो 527 अणुरज्जति खणेण अइलज्जा अइमाणं 474 अंतो विसभरियाओ अइलालिया वि 388 अथिरं पि थिर अश्वल्लहं पि 434 अत्येण न छुट्टिज्जइ अइविसमो मोहतरू 416 अत्यो घरे निअत्तइ अकयन्नुगामणीओ 218 अत्थो जसो य कित्ती अकयं को परिभुइ 203 असणेण अइदंसणेण अकसुरहीण खीरं 488 अद्धामलग पमाणे अकमिऊणं आणा 553 अन्नन्नदेसजाया अक्खंडिअचारित्तो 881 अन्नं चिंतेति मणे अक्खाण रसणी अन्नहं परिचिंतिज्जइ अञ्चंत विवज्जा अग्नं भणंति भन्न अच्छंतु ताव निरया 639 | अन्नं च तस्स अन्छिनिमीलणमित्तं 749 | अन्नस्स पेट्टसूले अजं कल्लं परं परारिं 123 अन्नाणं खलु कह अंजणं चक्खुसंगेणं अन्नाणो वह अन्ने अट्टेण . 864 अन्ने कम्मभूमी अहेव य अहसया . 786 अन्ने धम्माभिमुहा अहदस दोसरहिओ . 932 / भन्ने पुण कोढियया 435 875 504 650 833 597 अम्ल 714 729 720 642.

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