Book Title: Paia Subhasiya Sangaho
Author(s): Bhavyadarshanvijay
Publisher: Padmavijay Ganivar Jain Granthmala
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________________ 22 . बरभवणसयणधणधण्णसंपया हुंति खंतिधम्माओ। मणुयाण मणुयजम्मे, इच्छियभोगेण संपत्ती // 214 // खंतीए गुणसमेओ, मनिज्जइ माणवो विरूवो वि। .. जह नंदिसेणसाहू, पसंसिओ तियसनाहेणं // 215 // न वि तं करेइ माया, नेव पिया नेव बंधवजणो य / / उवयारं जह खंती, सुसेविया सव्वजीवाणं // 216 // सव्वेवि गुणा खंतीइ वज्जिया नेव दिति सोहग्गं / हरिणककलविहूणा, रयणी जहः तारयडूढावि // 217 // नयणविहणं वयणं, कमलविहणं च सरवरं जह य / न य सोहइ तह खंतीए बाहिरं माणुसं लोए // 218 / / खंतिदयादमजुत्तो, जो मणुओ होइ जीवलोगम्मि / सो जसकित्ती पावइ, कल्लाणपरंपरं विउलं // 219 // इहलोए परलोए, सुहाण सव्वाण कारणं खंती / तम्हा जिणाण आणा, कायव्वा मुक्रवफलहेऊ // 220 // खती सुहाणमूलं, मूलं धम्मस्स उत्तमा खंती / हरइ महाविज्जा इव, खंती दुरियाई सव्वाई // 221 // धम्मो / RELIGION घम्मेण कुलप्पसूई धम्मेग य दिव्वरूवसंपत्ती / धम्मेण धणसमिद्धी, धम्मेण सुवित्थडा कित्ती 222 // . धम्मो मंगलमउलं, ओसहमउलं च सव्वदुक्खाणं / धम्भो बलमवि विउलं, धम्मो ताण च सरणं च // 223 //

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